स्लम सिटी से कैपिटल सिटी की ओर बढ़ रही दिल्ली: LG वीके सक्सेना ने साझा किया रोडमैप
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (05 अप्रैल 2025): दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने राजधानी के विकास को लेकर एक बड़ी योजना की रूपरेखा साझा की है। उन्होंने कहा कि अगले छह वर्षों में दिल्ली को स्लम सिटी से कैपिटल सिटी में बदला जाएगा। उनके अनुसार, वर्तमान में दिल्ली की स्थिति कई मायनों में अव्यवस्थित है, लेकिन नियोजित विकास के जरिए इसमें व्यापक सुधार लाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों, बेतरतीब यातायात और प्रदूषण जैसी समस्याएं प्रमुख हैं। हालांकि डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) के जरिए कई प्रोजेक्ट्स पर कार्य शुरू कर दिया गया है। उन्होंने दिल्ली को एक सुव्यवस्थित और वैश्विक मानकों वाला शहर बनाने की प्रतिबद्धता जताई। साथ ही उन्होंने जनता से सहयोग और धैर्य बनाए रखने की अपील की। उन्होंने एक निजी समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में दिल्ली के विकास का रोडमैप साझा किया।
वी. के. सक्सेना ने बताया कि डीडीए की भूमिका अब सिर्फ फ्लैट बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह दिल्ली के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भागीदारी निभा रही है। पहले डीडीए की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी थी, जिससे फ्लैटों की बिक्री पर असर पड़ा था। अब बुकिंग प्रक्रिया में बदलाव किया गया है, जिससे वास्तविक खरीदारों को प्रोत्साहन मिल रहा है। फ्लैट की बुकिंग के समय दस प्रतिशत भुगतान और पसंद के अनुसार फ्लैट चुनने की सुविधा शुरू की गई है। साथ ही खरीदार को दस्तावेजों का फोल्डर, मिठाई और तस्वीर की सुविधा देकर फीलगुड अनुभव दिया जा रहा है। इन सुधारों से डीडीए की आय घाटे से निकलकर लाभ में पहुंच गई है। हाल ही में डीडीए ने साढ़े आठ हजार से अधिक फ्लैट बेचकर साढ़े चार हजार करोड़ रुपये की कमाई की है।
दिल्ली में कई प्रमुख योजनाओं पर भी तेजी से कार्य हो रहा है। सक्सेना ने बताया कि कड़कड़डूमा में ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है। इसमें कार्यालय और आवास एक ही परिसर में बनाए जाएंगे, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी। इसके अलावा डीडीए बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स जैसे गोल्ड सूक, खेल परिसर, अस्पताल और होटल के लिए भी भूमि लीज पर दे रहा है। रोहिणी और नरेला में विश्वस्तरीय स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाए जाएंगे, जिनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। साथ ही इन स्थानों पर होटल भी बनाए जाएंगे ताकि खेल आयोजनों के दौरान मेहमानों के ठहरने की उचित व्यवस्था हो सके। नरेला में एजुकेशन हब की योजना भी तैयार की गई है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के गांव और अनधिकृत कॉलोनियों के विकास के लिए भी योजनाएं बनाई गई हैं। पीएम उदय योजना, जो 2019 से ठप पड़ी थी, को दोबारा गति में लाया गया है। इससे 1700 से अधिक अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित किया जाएगा और निवासियों को मालिकाना हक मिलेगा। इस योजना से पहली बार इन इलाकों में योजनाबद्ध विकास संभव हो सकेगा, जहां करीब 40 प्रतिशत दिल्ली की आबादी निवास करती है। गांवों में 958 करोड़ रुपये की लागत से विकास कार्य किए जा रहे हैं। इसके तहत सड़कों, पार्कों और सामुदायिक केंद्रों के निर्माण पर ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही दिल्ली मास्टर प्लान को भी जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा। यह प्लान शहर के समग्र विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
सक्सेना ने यमुना रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि साबरमती की तरह यमुना के किनारे एक ही स्थान पर रिवरफ्रंट बनाना व्यावहारिक नहीं होगा। इसलिए वजीराबाद से ओखला तक के 22 किमी लंबे स्ट्रेच को अलग-अलग हिस्सों में रिवरफ्रंट के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे दिल्लीवासी यमुना के पास समय बिता सकेंगे और जल प्रदूषण के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी। मिलेनियम डिपो की जमीन पर भी आकर्षक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। वहां बांस के पुल, टोपियरी पार्क, सेंट्रल पियाजा, हस्तशिल्प और ऑर्गेनिक बाजार तैयार किए जाएंगे। दो बड़े पार्किंग स्थल और ओपन लान भी इस परियोजना का हिस्सा होंगे।
सक्सेना ने बताया कि दिल्ली सरकार के साथ उनके संबंध सौहार्दपूर्ण हैं और मुख्यमंत्री से लगातार संवाद होता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का विजन स्पष्ट है और वे विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि पूर्ववर्ती सरकारों के कारण विकास की रफ्तार धीमी रही। अब नई सरकार और एलजी कार्यालय मिलकर समन्वय से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो वर्षों में दिल्ली में बदलाव दिखने लगेगा और छह वर्षों में राजधानी पूरी तरह बदल जाएगी। उनका उद्देश्य दिल्ली को रहने, काम करने और घूमने के लिए एक आदर्श शहर बनाना है। उन्होंने विश्वास जताया कि नागरिकों के सहयोग से यह संभव हो सकेगा।
एलजी ने यह भी बताया कि दिल्ली में कई पुराने वाणिज्यिक परिसर और सामुदायिक भवन बदहाल स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि अब इन परिसरों का कायाकल्प किया जा रहा है, जैसा कि नेहरू प्लेस कॉम्प्लेक्स में किया गया। कई सामुदायिक भवनों को लाइब्रेरी में बदला जा रहा है ताकि स्थानीय लोग उन्हें अधिक उपयोगी बना सकें। उन्होंने स्वीकार किया कि पहले कई फैसले बिना जन हित को ध्यान में रखे लिए जाते थे। अब योजनाएं लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई जा रही हैं। इससे शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे सभी परिसरों का निरीक्षण कर उन्हें नया रूप दिया जाएगा।
दिल्ली को बांग्लादेशी घुसपैठियों से मुक्त करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया लगातार चल रही है। एलजी ने बताया कि वे समय-समय पर इस विषय पर रिपोर्ट लेते हैं और कार्यवाही की समीक्षा करते हैं। ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें दिल्ली से हटाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही उन अधिकारियों और एजेंटों पर भी सख्त कार्रवाई हो रही है जो फर्जी दस्तावेजों के जरिए उन्हें पहचान पत्र उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई केवल सतही नहीं, बल्कि जड़ से की जा रही है। उनका मानना है कि दिल्ली की सुरक्षा और संरचना को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक कदम है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह मुहिम और तेज होगी।
ड्रग्स मुक्त दिल्ली के अपने संकल्प के बारे में बात करते हुए एलजी ने कहा कि यह पूरी तरह संभव है। उन्होंने बताया कि पिछले महीने ड्रग्स के खिलाफ विशेष अभियान चलाया गया था, जो सफल रहा। इस दौरान नशीले पदार्थों की तस्करी और सेवन रोकने के लिए कठोर कदम उठाए गए। एलजी ने कहा कि यह अभियान लगातार जारी रहेगा और दिल्ली पुलिस, एनसीबी व अन्य एजेंसियों के सहयोग से इसे और प्रभावी बनाया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि तीन वर्षों में दिल्ली को ड्रग्स फ्री किया जा सकेगा। उन्होंने युवाओं को इससे दूर रखने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करने पर जोर दिया। साथ ही माता-पिता और शिक्षकों से अपील की कि वे बच्चों पर निगरानी रखें।
उन्होंने अंत में यह कहा कि दिल्ली के पास एक सुनहरा अवसर है खुद को वैश्विक राजधानी के रूप में स्थापित करने का। इसके लिए प्रशासन, नागरिक और राजनीतिक नेतृत्व को मिलकर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि समन्वय और दृढ़ संकल्प से कुछ भी असंभव नहीं है। एलजी ने दिल्लीवासियों से अपील की कि वे स्वच्छता, ट्रैफिक नियमों और विकास कार्यों में प्रशासन का सहयोग करें। उन्होंने कहा कि राजधानी केवल इमारतों से नहीं बनती, बल्कि नागरिकों के व्यवहार से उसकी पहचान होती है। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि छह साल में दिल्ली की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी। सक्सेना ने विश्वास दिलाया कि यह सिर्फ सपना नहीं, एक ठोस संकल्प है।
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