नई दिल्ली (23 मार्च 2025): जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाए जाने वाले अर्थ आवर डे पर दिल्लीवासियों ने इस साल 269 मेगावाट बिजली की बचत की। यह पिछले वर्ष के मुकाबले 63 मेगावाट अधिक है। वर्ष 2024 में 206 मेगावाट, 2023 में 279 मेगावाट, 2022 में 171 मेगावाट और 2021 में 334 मेगावाट बिजली बचाई गई थी। इस बार के आंकड़े ने दिल्लीवासियों की ऊर्जा संरक्षण के प्रति बढ़ती जागरूकता को दर्शाया।
कैसे हुई बिजली की बचत?
22 मार्च को रात 8:30 बजे से 9:30 बजे तक दिल्लीवासियों ने अपने घरों और कार्यस्थलों की गैर-जरूरी लाइटें और बिजली उपकरण बंद रखे। इस पहल को सफल बनाने के लिए दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों – बीएसईएस (BSES) और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (TPDDL) ने उपभोक्ताओं को जागरूक किया था। इन प्रयासों का असर स्पष्ट रूप से दिखा, जब बड़ी संख्या में लोगों ने इस अभियान में भाग लिया।
तीनों वितरण कंपनियों के क्षेत्र में हुई बचत
बीएसईएस – 159 मेगावाट
टीपीडीडीएल – 74 मेगावाट
एनडीएमसी – 36 मेगावाट
दिल्ली के प्रमुख स्थलों पर भी बंद की गईं लाइटें
अर्थ आवर के तहत न केवल घरों और दफ्तरों में बल्कि दिल्ली के कई महत्वपूर्ण स्थलों पर भी बिजली बचाने की मुहिम देखी गई। अक्षरधाम मंदिर, इंडिया गेट, सफदरजंग मकबरा सहित अन्य प्रमुख स्थानों की लाइटें भी एक घंटे के लिए बंद रखी गईं। अर्थ आवर की शुरुआत 18 साल पहले वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) द्वारा की गई थी। भारत में इसे पिछले 15 वर्षों से मनाया जा रहा है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य केवल बिजली बचाना नहीं है, बल्कि लोगों को जल संरक्षण, सिंगल-यूज प्लास्टिक का कम उपयोग, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को घटाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करना भी है।
दिल्लीवासियों से की गई थी अपील
बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस (BSES) ने पहले ही दिल्ली के करीब दो करोड़ लोगों से अपील की थी कि वे 22 मार्च को रात 8:30 बजे से 9:30 बजे तक गैर-जरूरी लाइटें और बिजली से चलने वाले उपकरण बंद रखें। बीएसईएस ने बताया कि पिछले साल 206 मेगावाट बिजली बचाई गई थी, जिसमें से 130 मेगावाट अकेले बीएसईएस क्षेत्र में बचत हुई थी।
इस वर्ष दिल्लीवासियों ने न केवल 269 मेगावाट बिजली बचाकर एक नया रिकॉर्ड बनाया, बल्कि जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संरक्षण के प्रति अपनी बढ़ती जागरूकता भी साबित की। यह अभियान दिखाता है कि छोटे-छोटे प्रयासों से भी बड़े बदलाव संभव हैं। अर्थ आवर केवल एक घंटे की बिजली बचत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोगों को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में स्थायी बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है।
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