जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से नकदी मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने सौंपी रिपोर्ट
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (22 मार्च 2025): दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले ने न्यायपालिका में हलचल मचा दी है। इस प्रकरण की जांच कर रहे दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने अपनी रिपोर्ट भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI जस्टिस संजीव खन्ना) को सौंप दी है। अब इस रिपोर्ट के आधार पर CJI आगे की कार्रवाई करेंगे। यह मामला तब प्रकाश में आया जब 14 मार्च को होली की रात लुटियंस दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना हुई। उस समय वह दिल्ली में मौजूद नहीं थे और उनके परिवार ने आग बुझाने के लिए दिल्ली फायर डिपार्टमेंट से मदद मांगी। जब फायर ब्रिगेड ने आग बुझाने का कार्य किया, तो उनके आवास में बड़ी मात्रा में नकदी होने की सूचना मीडिया में लीक हो गई, जिससे यह मामला चर्चा का विषय बन गया।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरण (ट्रांसफर) किया गया, जिससे इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन भड़क गई। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने इस ट्रांसफर का विरोध करते हुए कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट कोई “कूड़ाघर” या भ्रष्टाचार का अड्डा नहीं है, जहां पर किसी भी भ्रष्टाचार में लिप्त न्यायाधीश को भेज दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि जस्टिस वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, तो उनकी न्यायिक जिम्मेदारियां निलंबित की जानी चाहिए और उनके खिलाफ जांच पूरी होने तक उन्हें किसी भी अन्य उच्च न्यायालय में स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए। बार एसोसिएशन ने न्यायपालिका की स्वायत्तता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए भारत के प्रधान न्यायाधीश से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।
इस पूरे मामले के खुलासे के बाद न्यायपालिका के भीतर भी इस पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता के लिए गंभीर चुनौती मान रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक और मीडिया द्वारा अतिशयोक्ति से पेश किया गया मामला कह रहे हैं। अब जब दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने अपनी रिपोर्ट CJI को सौंप दी है, तो इस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखने वाली बात होगी। अगर इस मामले में जस्टिस वर्मा दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। वहीं, अगर उन्हें क्लीन चिट मिलती है, तो यह न्यायपालिका की छवि सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय होगा।
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