नई दिल्ली (21 मार्च 2025): दिल्ली में पेड़ों की अवैध कटाई का मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। राजधानी के रानी बाग थाना परिसर के अंदर पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर जनसेवा सोसाइटी ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें अधिकारियों पर अवमानना कार्रवाई की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए बाहरी दिल्ली के उपायुक्त, एसएचओ रानी बाग, जिला वन अधिकारी और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान एसएचओ रानी बाग व अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर का पूरा रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी।
हाईकोर्ट का 2023 का आदेश और अवमानना का मामला
दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 मई 2023 को एक आदेश जारी कर पेड़ों की कटाई और छंटाई पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बावजूद, शिकायतकर्ता का कहना है कि रानी बाग थाना परिसर में अवैध रूप से पेड़ों को काटा गया। याचिका में कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों ने अदालत के आदेश की अवहेलना की है, इसलिए उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई की जानी चाहिए। अदालत ने इस पर संज्ञान लेते हुए संबंधित विभागों से जवाब तलब किया है और सरकारी अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करने को कहा है।
अवैध कटाई को लेकर क्या कहते हैं सरकार के नियम?
दिल्ली में पेड़ों की कटाई से संबंधित नियम दिल्ली प्रिजर्वेशन ऑफ ट्रीज एक्ट (DPTA), 1994 के तहत लागू होते हैं। धारा 9 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी पेड़ को काटना या हटाना चाहता है, तो उसे संबंधित वृक्ष अधिकारी से अनुमति लेनी होगी। इसके लिए आवेदक को भूमि स्वामित्व के दस्तावेज और पेड़ की परिधि की जानकारी प्रस्तुत करनी होती है। वहीं, धारा 29 के तहत सरकार को अधिकार दिया गया है कि वह जनहित में किसी क्षेत्र या पेड़ों की किसी प्रजाति को इस अधिनियम से छूट दे सकती है।
दिल्ली में पेड़ों की कटाई के सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम वन प्रभाग के अधिकारियों ने पिछले तीन वर्षों में 8,953 पेड़ों को काटने और 13,486 पेड़ों को प्रत्यारोपित करने की अनुमति दी। इसी अवधि के दौरान केंद्रीय वन प्रभाग में 2,866 पेड़ काटे गए, जबकि सिर्फ 701 नए पेड़ लगाए गए। उत्तर वन प्रभाग में 689 पेड़ों की कटाई हुई और 269 नए पेड़ लगाए गए। दक्षिण वन प्रभाग में 982 पेड़ काटे गए और 2,000 पेड़ प्रत्यारोपित किए गए। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि जितने पेड़ काटे जा रहे हैं, उसके मुकाबले नए पेड़ लगाने की संख्या बेहद कम है।
सरकार द्वारा जारी अधिसूचनाएं और कटे पेड़ों की संख्या
दिल्ली सरकार ने 2019 से 2021 तक डीपीटीए की धारा 29 के तहत 52 अधिसूचनाएं जारी कीं, जिनमें कुल 15,426 पेड़ों को काटने और 32,048 पेड़ों को प्रत्यारोपित करने की अनुमति दी गई। यह आंकड़े यह दिखाते हैं कि हर साल हजारों की संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं, लेकिन प्रत्यारोपित पेड़ों की स्थिति पर उचित मॉनिटरिंग नहीं हो रही है। पर्यावरणविदों का मानना है कि प्रत्यारोपित पेड़ों का सही तरीके से संरक्षण नहीं किया जाता, जिससे वे पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
पेड़ों की कटाई को लेकर जनता में बढ़ रहा आक्रोश
दिल्ली में पेड़ों की कटाई को लेकर स्थानीय नागरिक और पर्यावरण कार्यकर्ता लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए पेड़ों की रक्षा करना बेहद जरूरी है। जनसेवा सोसाइटी जैसे कई संगठनों ने सरकार से नए पेड़ों की निगरानी, अवैध कटाई पर सख्त कार्रवाई और वृक्षारोपण को अनिवार्य करने की मांग की है। नागरिकों का कहना है कि सरकार को पेड़ों की सुरक्षा के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि काटे गए पेड़ों के बदले नए पेड़ लगाए जा रहे हैं और वे ठीक से विकसित हो रहे हैं।
अब सभी की नजरें 28 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। अदालत ने रानी बाग थाना परिसर में हुई अवैध कटाई से संबंधित सभी रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया है। अगर कोर्ट को लगता है कि सरकारी अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और अवैध रूप से पेड़ काटे गए हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है। यह मामला भविष्य में दिल्ली में पेड़ों की रक्षा के लिए नए कानूनों और सख्त नियमों को लागू करने का मार्ग भी प्रशस्त कर सकता है। पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय नागरिकों को उम्मीद है कि इस मामले में कोर्ट सख्त कदम उठाएगी, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।।
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