रेबीज का कहर: संक्रमित गाय का दूध पीने से महिला की दर्दनाक मौत

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (21 मार्च 2025): ग्रेटर नोएडा के जेवर क्षेत्र स्थित थोरा गांव में एक महिला की रेबीज से मौत हो गई। इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि महिला ने उस गाय का दूध पिया था, जिसे कुछ दिन पहले एक पागल कुत्ते ने काटा था। इस कुत्ते के काटने से गाय में रेबीज संक्रमण हो गया था, और उसके बाद यह महिला संक्रमित हो गई। मृतक महिला की पहचान सीमा (40) के रूप में हुई है, जो पड़ोसी की गाय का दूध पीने से संक्रमित हुई थी।

गांव वासियों के अनुसार, गाय ने दो महीने पहले एक बछड़े को जन्म दिया था और करीब डेढ़ महीने पहले गाय में रेबीज के लक्षण दिखाई दिए थे। इसके बाद पशु चिकित्सक द्वारा गाय में रेबीज की पुष्टि की गई थी। हालांकि, गाय के मालिक के परिवार ने रेबीज का टीका लगवा लिया था, लेकिन सीमा ने टीका नहीं लगवाया।

सीमा की स्थिति में गंभीरता तब आई जब सोमवार रात उसे पानी और रोशनी से डर लगने लगा और उल्टी की शिकायत होने लगी। परिजनों ने उसे तुरंत अस्पताल ले जाने की कोशिश की, लेकिन उसे कई अस्पतालों में भटकना पड़ा। पहले उसे सरकारी अस्पताल से जिला अस्पताल भेजा गया और फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन किसी अस्पताल ने उसे रेबीज के इलाज के लिए उचित उपचार नहीं दिया। अंततः, बसंतकुंज के एक अस्पताल ने उसे रेबीज से संक्रमित होने की पुष्टि करते हुए घर भेज दिया, लेकिन इसके बाद गुरुवार को सीमा की दुखद मौत हो गई।

सीमा के निधन से उनका परिवार गहरे दुख में डूबा हुआ है। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा हैं, और उनके निधन के बाद परिवार को गहरा सदमा पहुंचा है। घटना के बाद, गांव के दस लोगों ने एहतियात के तौर पर रेबीज का टीका लगवाया है।

गांव वाले इस घटना को लेकर परेशान हैं और उनका कहना है कि जेवर क्षेत्र में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। त्रिलोक, एक ग्रामीण, ने बताया कि आसपास के गांवों में भी कुत्तों के काटने से लोग रोज घायल हो रहे हैं, और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रेबीज के इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होते, जिससे लोगों की जान को खतरा है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों से मांग की है कि रेबीज के इंजेक्शन की उचित व्यवस्था की जाए।

दूसरी ओर, दिनेश मास्टर, एक अन्य ग्रामीण, ने कहा कि महिला की मौत से वह बहुत दुखी हैं और प्रशासन से यह अपील की है कि आवारा कुत्तों को लेकर प्रभावी कदम उठाए जाएं, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके। उनका कहना था कि गांवों में आवारा कुत्तों के मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हो। यह घटना क्षेत्र में स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को उजागर करती है।।


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