नई दिल्ली (20 मार्च 2025): संसद के सत्र के दौरान एक बार फिर जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के निजीकरण और इसमें सरकारी हिस्सेदारी घटाने के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एलआईसी एजेंटों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुना और आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे को संसद में पुरजोर तरीके से उठाएंगे।
राहुल गांधी ने कहा कि एलआईसी देश की जनता की अमानत है और इसके अस्तित्व को किसी भी तरह के जोखिम में डालना जनविरोधी कदम होगा। उन्होंने एलआईसी एजेंटों के हितों की रक्षा पर जोर देते हुए कहा कि हाल ही में बीमा क्षेत्र में किए गए बदलाव छोटे एजेंटों और गरीब पालिसीधारकों के खिलाफ हैं। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह धीरे-धीरे इस संस्था को कमजोर कर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है।
एलआईसी एजेंटों के प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याओं को रखते हुए कहा कि नए नियमों के चलते उनकी आय पर असर पड़ा है और उनकी नौकरियों को भी खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने मांग की कि सरकार को बीमा क्षेत्र में किए गए बदलावों की समीक्षा करनी चाहिए और एलआईसी को मजबूत बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
गौरतलब है कि एलआईसी की स्थापना 1956 में हुई थी और इसे आम भारतीयों की वित्तीय सुरक्षा के लिए सबसे भरोसेमंद संस्थान माना जाता है। बीते कुछ वर्षों में सरकार द्वारा एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी घटाने के फैसले से इसे लेकर बहस तेज हो गई है। विपक्ष लगातार इस मुद्दे को उठाता रहा है और इसे आम जनता के हितों के खिलाफ बता रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी चुनावों को देखते हुए कांग्रेस इस मुद्दे को प्रमुख रूप से भुनाने की कोशिश कर रही है। वहीं, सरकार का कहना है कि बीमा क्षेत्र में किए गए बदलावों से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को अधिक लाभ मिलेगा। अब देखना यह होगा कि राहुल गांधी के इस मुद्दे को संसद में उठाने के बाद सरकार का क्या रुख रहता है और एलआईसी एजेंटों की समस्याओं का कोई समाधान निकलता है या नहीं।।
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