तेलंगाना में ओबीसी को 42% आरक्षण, राहुल गांधी ने बताया क्रांतिकारी कदम

टेन न्यूज नेटवर्क

हैदराबाद (18 मार्च 2025): तेलंगाना सरकार ने राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 42% आरक्षण की घोषणा कर एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। मुख्यमंत्री अन्नमलाई रेवंथ रेड्डी ने कहा कि यह कदम सामाजिक न्याय को सशक्त करने की दिशा में बड़ा प्रयास है। उन्होंने राज्य में शिक्षा, नौकरियों, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में ओबीसी समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला लिया है।

इस फैसले की सराहना करते हुए कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इसे “क्रांतिकारी कदम” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा कि जातिगत जनगणना से ही पिछड़े और वंचित समुदायों को उनका हक मिल सकता है। राहुल गांधी ने आगे कहा, “तेलंगाना सरकार ने ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर अपना वादा पूरा कर दिया है। जातिगत गिनती के वैज्ञानिक आंकड़ों के आधार पर ओबीसी समुदाय की वास्तविक संख्या को स्वीकार किया गया और उनकी शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विधानसभा में 42% आरक्षण का बिल पारित किया गया।”

50% आरक्षण की सीमा टूटी, सामाजिक क्रांति की ओर बढ़ा तेलंगाना

इस फैसले के साथ ही तेलंगाना में आरक्षण की कुल सीमा 50% से अधिक हो गई है, जो अब तक भारतीय संविधान में एक महत्वपूर्ण बाधा मानी जाती थी। सरकार ने इस आरक्षण के आधार को मजबूत करने के लिए एक इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट ग्रुप भी बनाया है, जो सामाजिक-आर्थिक हालात का विश्लेषण कर नीतियों को और प्रभावी बनाएगा।

राहुल गांधी ने इस फैसले की प्रशंसा करते हुए आगे लिखा, “जातिगत सर्वेक्षण के डेटा से हर समुदाय की वास्तविक स्थिति का विश्लेषण किया जा सकता है और ऐसी नीतियां बनाई जा सकती हैं, जो सबको उनका उचित अधिकार दिलाएंगी। तेलंगाना सरकार ने यह रास्ता दिखा दिया है और अब यह पूरे देश की जरूरत बन गई है। जातिगत जनगणना होकर रहेगी, हम इसे पूरा करके रहेंगे।”

तेलंगाना बना सामाजिक न्याय की नई मिसाल

मुख्यमंत्री रेड्डी ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “तेलंगाना को भारत में सामाजिक क्रांति का नेतृत्व करने पर गर्व है। यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारतीय स्वतंत्रता के बाद से पिछड़े समुदायों की सबसे पुरानी मांग पूरी हो रही है। ओबीसी समुदाय को आधिकारिक रूप से गिना और स्वीकार किया गया है।”

तेलंगाना सरकार का यह फैसला अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणादायक साबित हो सकता है। ओबीसी समुदाय लंबे समय से अपने अधिकारों और आरक्षण की मांग कर रहा था। इस निर्णय से राज्य में शिक्षा, नौकरियों और राजनीति में पिछड़े वर्गों की भागीदारी बढ़ेगी, जिससे सामाजिक समरसता को नया आयाम मिलेगा।


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