संसद के अवरोध से नुकसान किसका? ‘अडानी फोबिया’ से ग्रस्त कांग्रेस पर सवाल

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (09 दिसंबर 2024): लोकतंत्र को चलाने और देश की समस्याओं पर चर्चा करने का सबसे बड़ा मंच संसद है। लेकिन वर्तमान समय में सदन की स्थिति देखकर यही कहा जा सकता है कि विपक्ष अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में चूक कर रहा है।

वाजपेयी का लोकतांत्रिक दृष्टिकोण और आज की राजनीति

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि, “लोकतंत्र में विपक्ष सत्ता का शत्रु नहीं होता, वह साथी होता है जो गलतियों को सुधारने के लिए होता है।” लेकिन क्या आज विपक्ष इस भूमिका को निभा रहा है?सदन में बहस और चर्चा के बजाय हंगामे और अवरोध का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है।

‘अडानी फोबिया’ से घिरी कांग्रेस?

संसद सत्र के दौरान कांग्रेस का रवैया यह दर्शाता है कि वह ‘अडानी फोबिया’ से ग्रस्त हो गई है। गौतम अडानी को निशाना बनाते हुए कांग्रेस पार्टी और उसके सांसद लगातार सदन की कार्यवाही में बाधा डाल रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस सांसदों ने अडानी विरोध में टी-शर्ट, मास्क और अब मुखौटा पहनकर प्रदर्शन करने की घोषणा की है। हालांकि, विपक्षी गठबंधन में एकजुटता भी दरकती नजर आ रही है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और समाजवादी पार्टी (सपा) जैसे दल इस प्रदर्शन से अलग हो गए हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो साफ शब्दों में कहा है, “सदन में केवल अडानी-अडानी करना ठीक नहीं है। देश में और भी मुद्दे हैं।”

सदन में अवरोध से नुकसान किसका?

जब संसद नहीं चलती तो सबसे बड़ा नुकसान देश और जनता का होता है।

समस्याओं पर चर्चा नहीं होती: देश के अलग-अलग हिस्सों से सांसद अपनी-अपनी जनता की समस्याएं लेकर आते हैं। लेकिन अवरोध के चलते इन पर चर्चा ही नहीं हो पाती।

विकास कार्यों में बाधा: जिन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व विपक्षी सांसद करते हैं, वहां के मुद्दे भी अनसुने रह जाते हैं।

खर्च का बोझ: संसद को संचालित करने में हर दिन करीब 2.5 करोड़ रुपये का खर्च होता है। यदि सदन बाधित होता है, तो यह पैसा बर्बाद होता है।

विपक्ष की भूमिका और जिम्मेदारी

संसद का उद्देश्य सरकार की नीतियों पर चर्चा करना और देश की समस्याओं का समाधान निकालना है। विपक्ष का काम सत्ता पक्ष की नीतियों में खामियां उजागर करना है, लेकिन रचनात्मक तरीके से। हंगामा और प्रदर्शन जनता को न्याय दिलाने का मार्ग नहीं है।

समस्या का समाधान क्या?

पक्ष और विपक्ष को संवाद के माध्यम से सहमति बनानी चाहिए। सदन में जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, न कि केवल राजनीतिक एजेंडे को। लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए सभी दलों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन जिम्मेदारी से करना होगा।

सदन के अवरोध और हंगामे का सबसे बड़ा नुकसान देश की जनता को हो रहा है। जब देश की समस्याओं पर चर्चा ही नहीं होगी, तो समाधान कैसे निकलेगा? कांग्रेस और विपक्ष को समझना चाहिए कि उनकी नकारात्मक राजनीति से जनता का भरोसा टूट सकता है। सदन को सुचारू रूप से चलने देना ही लोकतंत्र और देशहित के लिए सही रास्ता है।

 

रंजन अभिषेक (टेन न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली)


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