नई दिल्ली (12 मार्च 2025): दिल्ली में होली के त्योहार से पहले सियासत तेज हो गई है। बीजेपी विधायक करनैल सिंह के एक बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि इस बार होली के दिन वे नमाज घर पर ही पढ़ें ताकि किसी तरह का टकराव न हो और सभी लोग शांतिपूर्वक त्योहार मना सकें। करनैल सिंह, जो दिल्ली के शकूरबस्ती से विधायक हैं, ने कहा कि होली साल में एक बार आती है, जबकि शुक्रवार 52 बार आता है। इसलिए, मुस्लिम समुदाय को इस बार घर में ही नमाज अदा करनी चाहिए ताकि भाईचारा बना रहे और सभी लोग प्रेम और सौहार्द के साथ त्योहार मना सकें।
करनैल सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान कहा, “हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और चाहते हैं कि सभी लोग एक-दूसरे के त्योहारों का सम्मान करें। हम चाहते हैं कि कोई भी विवाद न हो और त्योहारों के दौरान शांति बनी रहे।” उन्होंने कहा कि उनकी अपील का मकसद किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द बनाए रखना है। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई और कई दलों ने इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
हालांकि, जब उनके बयान पर विवाद बढ़ा, तो उन्होंने अपने रुख को दोहराते हुए कहा कि वे अपनी बात पर कायम हैं। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि होली शांतिपूर्ण तरीके से मनाई जाए। अगर एक समुदाय खुशी मना रहा है, तो दूसरा समुदाय इस खुशी में व्यवधान न डाले। भाईचारा और सौहार्द बनाए रखना सबसे जरूरी है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी अपील केवल एक सुझाव थी, जिसे जबरन लागू करने की कोई मंशा नहीं है।
बीजेपी विधायक के इस बयान के बाद राजनीतिक पार्टियों ने इसे सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया है। विपक्षी दलों ने कहा कि किसी को भी धार्मिक अनुष्ठानों को लेकर निर्देश देने का अधिकार नहीं है। आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि त्योहारों को राजनीति से दूर रखना चाहिए। कई मुस्लिम संगठनों ने भी इस बयान पर नाराजगी जताई और इसे धार्मिक स्वतंत्रता में दखल बताया।
इससे पहले, उत्तर प्रदेश के संभल जिले में भी इसी तरह का बयान सामने आया था। वहां के एक पुलिस अधिकारी ने कहा था कि जिन्हें रंगों से दिक्कत है, वे होली के दिन घर पर रहकर नमाज पढ़ें क्योंकि साल में 52 बार शुक्रवार आता है, लेकिन होली सिर्फ एक बार आती है। इस बयान को लेकर भी काफी विवाद हुआ था और मुस्लिम संगठनों ने इसे धार्मिक भेदभाव करार दिया था।
हालांकि, कुछ मुस्लिम संगठनों ने भी शांति बनाए रखने के लिए यह सुझाव दिया कि इस बार मस्जिदों में नमाज का समय थोड़ा बदला जा सकता है ताकि दोनों समुदायों को सुविधा हो। उन्होंने कहा कि त्योहारों के दौरान सौहार्द बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है और इस तरह के उपायों से विवादों से बचा जा सकता है। लेकिन राजनीतिक दलों का कहना है कि इस तरह की अपीलें एकतरफा होती हैं और धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकती हैं।
दिल्ली में होली को लेकर इस तरह की बयानबाजी के बाद माहौल गर्म हो गया है। जहां बीजेपी इसे शांति और सौहार्द का मुद्दा बता रही है, वहीं विपक्षी दल इसे चुनावी राजनीति से जोड़ रहे हैं। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और क्या प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं और क्या इससे दिल्ली की राजनीति पर कोई असर पड़ता है।
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