संघर्ष से सफलता तक: चित्रा त्रिपाठी की प्रेरणादायक यात्रा | e4m Women Summit

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (10 मार्च 2025): E4M Women in Digital, Creative & Media Economy Summit डिजिटल इनोवेशन, क्रिएटिव एक्सीलेंस और मीडिया प्रभाव में महिलाओं की भूमिका को सशक्त बनाने और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए समर्पित एक प्रमुख मंच है। इस समिट में देशभर की अग्रणी महिलाएं एक मंच पर एकत्रित हुईं, जिन्होंने अपने अनुभव साझा किए और आने वाले समय में मीडिया और क्रिएटिव इंडस्ट्री को नई दिशा देने के लिए विचार-विमर्श किया।

हिंदी भाषी पत्रकारों के संघर्ष और बदलाव

इस समिट में एबीपी न्यूज की वाइस प्रेसिडेंट (न्यूज़ एंड प्रोग्रामिंग) चित्रा त्रिपाठी ने अपने संघर्षों और सफलता की प्रेरणादायक कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि छोटे शहरों से आने वाली हिंदी भाषी लड़कियों को बड़े शहरों में अपनी पहचान बनाने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने कहा, “जब हम छोटे शहरों से बड़े शहरों में आते हैं, खासकर हिंदी बेल्ट से आने वाली लड़कियाँ, जिन्हें कम अंग्रेजी आती है, उनके लिए शुरुआती समय आसान नहीं होता। पहले यह धारणा थी कि अंग्रेज़ी बोलने वाले लोग ज़्यादा काबिल होते हैं। लेकिन धीरे-धीरे यह मानसिकता बदली है, और हमें अपनी पहचान बनाने का अवसर मिला है।”

उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिंदी को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन सरकारों के कार्यकाल में हिंदी को बहुत बढ़ावा मिला, जिससे हिंदी पत्रकारों को काफी फायदा हुआ।

देशभर में हिंदी की पहुँच और पहचान

लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, हर जगह हिंदी बोलने वाले लोग मिलते हैं। उन्होंने कहा, “मैं कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल के पास एंकरिंग कर रही थी, तभी कुछ लोग मिलने आए और बोले—’चित्राजी, हम सिर्फ आपसे मिलने आए हैं।’ यह देखकर बहुत गर्व महसूस हुआ कि हिंदी पत्रकारिता की पहुँच पूरे देश में हो रही है।”

पत्रकारिता में संघर्ष और समर्पण

उन्होंने 2014 की कश्मीर बाढ़ की रिपोर्टिंग के दौरान की कठिनाइयों को भी साझा किया। उन्होंने बताया कि तब हालात बहुत खराब थे। स्थानीय लोग भारतीय मीडिया के प्रति नाराज थे और 150-200 लोगों की भीड़ उन्हें घेर लेती थी।

उन्होंने कहा, “हम पांच दिनों तक सिर्फ मैगी खाकर रहे। जब हमें पता चला कि गुरुद्वारे में दाल-चावल मिल रहे हैं, तो वह खाना पाकर हमने राहत महसूस की। उस समय डर भी था, लेकिन पत्रकारिता के जुनून ने हमें मजबूती दी।”

परिवार, शिक्षा और पत्रकारिता की राह

चित्रा त्रिपाठी ने अपने परिवार के संघर्षों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने मीडिया की पढ़ाई करने का सोचा, तब उनके पिता ने उन्हें बताया कि उनकी शादी के लिए पैसे एफडी में रखे गए हैं।

उन्होंने कहा, “मैंने फैसला किया कि मैं अपनी शादी के पैसे पढ़ाई पर खर्च नहीं करूंगी। इसलिए मैंने पत्रकारिता की महंगी पढ़ाई छोड़कर गोरखपुर यूनिवर्सिटी से डिफेंस स्टडीज़ में एमए किया।”

मीडिया की शक्ति और आलोचनाओं से सीख

उन्होंने मीडिया की शक्ति पर जोर देते हुए कहा कि जब कोई संस्थान या व्यक्ति प्रभावशाली बनता है, तो उसे आलोचनाओं का सामना करना ही पड़ता है। उन्होंने कहा, “चाहे सरकार हो, समाज का कोई समूह हो या मीडिया, जब हम प्रभावशाली बनते हैं, तो आलोचना होती ही है। और यह होनी भी चाहिए, क्योंकि इससे हमें सुधार का अवसर मिलता है।”

पुरस्कार और मान्यता की माँग

कार्यक्रम के अंत में उन्होंने exchange4media से मजाकिया लहजे में अनुरोध किया कि उन्हें 40 साल से कम उम्र की श्रेणी में फिर से पुरस्कार दिया जाए। उन्होंने कहा, “पिछली बार कहा गया कि जिन्हें एक बार पुरस्कार मिल गया, उन्हें फिर नहीं मिलेगा। लेकिन अगर हम अच्छा काम कर रहे हैं, तो हमें मान्यता मिलनी चाहिए।”

चित्रा त्रिपाठी की यह प्रेरक कहानी पत्रकारिता में संघर्षरत युवाओं के लिए एक मिसाल है कि कड़ी मेहनत, समर्पण और आत्मविश्वास से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। E4M Women in Digital, Creative & Media Economy Summit केवल उपलब्धियों का जश्न मनाने का मंच नहीं था, बल्कि यह बदलाव लाने, रूढ़ियों को तोड़ने और मीडिया तथा क्रिएटिव इंडस्ट्री को एक नई दिशा देने का संकल्प भी था। इस आयोजन से प्रेरित होकर, हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए और अपने प्रयासों से इस क्षेत्र को और अधिक समावेशी और प्रभावशाली बनाना चाहिए।

 

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