बजट सत्र का दूसरा चरण आज से, वक्फ विधेयक और परिसीमन पर हंगामे के आसार

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (10 मार्च 2025): संसद के बजट सत्र 2025–26 का दूसरा चरण आज से शुरू हो रहा है, जो 4 अप्रैल तक चलेगा। इस चरण में मुख्य रूप से वित्त विधेयक (बजट) को मंजूरी दी जाएगी, लेकिन चर्चा का केंद्र वक्फ संशोधन विधेयक और लोकसभा सीटों के परिसीमन का मुद्दा रहेगा। द्रमुक और दक्षिण भारत के अन्य दलों ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वे परिसीमन के मुद्दे पर संसद में हंगामा कर सकते हैं।

सरकार की प्राथमिकता वित्त विधेयक को पारित कराने के अलावा लंबित 35 विधेयकों को मंजूरी दिलाने की भी है। इनमें से 26 विधेयक राज्यसभा और 9 विधेयक लोकसभा में लंबित हैं। सरकार जिन विधेयकों को पारित कराने पर जोर दे रही है, उनमें आपदा प्रबंधन संशोधन, रेलवे संशोधन, आव्रजन व विदेशी विधेयक और बैंकिंग लॉ संशोधन विधेयक शामिल हैं। इसके अलावा, सरकार आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेने वाले नए आयकर विधेयक को इसी सत्र में पारित करवाने की कोशिश में है।

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भी संसद में जोरदार बहस होने की संभावना है। सरकार का दावा है कि इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्ड और उसकी संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, विपक्षी दल और मुस्लिम संगठन इसे वक्फ संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लेने की साजिश बता रहे हैं। जद (यू) और तेदेपा जैसे सरकार के सहयोगी दलों पर मुस्लिम संगठनों का दबाव है कि वे इस विधेयक का विरोध करें, हालांकि जेपीसी की बैठकों में इन दलों ने सरकार का समर्थन किया था।

द्रमुक और दक्षिण भारत के अन्य दलों ने लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। उनका तर्क है कि यदि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन होता है, तो दक्षिण भारतीय राज्यों की सीटें कम हो जाएंगी, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों को अधिक सीटें मिलेंगी। द्रमुक का कहना है कि परिसीमन यदि अनिवार्य है, तो इसे 1971 की जनगणना के आधार पर किया जाना चाहिए और अगले 30 वर्षों तक इसे नहीं बदला जाना चाहिए।

परिसीमन के मुद्दे को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने संसद में इसे प्रमुखता से उठाने का फैसला किया है। उन्होंने दावा किया है कि यह न केवल दक्षिण भारत, बल्कि पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पंजाब जैसे अन्य राज्यों को भी नुकसान पहुंचाएगा। स्टालिन ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार परिसीमन के नाम पर दक्षिण भारत पर हिंदी थोपने की साजिश कर रही है। हालांकि, गृह मंत्री ने आश्वासन दिया है कि परिसीमन के बाद भी दक्षिण भारत की लोकसभा सीटों में कोई कमी नहीं होगी।

संसद में तीन भाषा फॉर्मूले को लेकर भी बहस होने के आसार हैं। दक्षिण भारतीय राज्यों, विशेष रूप से तमिलनाडु में, इस मुद्दे पर पहले से ही राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। द्रमुक का आरोप है कि केंद्र सरकार हिंदी को जबरन थोपने की कोशिश कर रही है। तमिलनाडु सरकार ने इस मुद्दे को संसद में जोरशोर से उठाने की योजना बनाई है।

बजट सत्र के इस चरण में हंगामे की संभावना को देखते हुए सरकार ने विपक्षी दलों से संवाद स्थापित करने की कोशिश की है। सरकार का मानना है कि वक्फ विधेयक और परिसीमन के मुद्दे पर स्पष्टता लाकर विपक्ष को शांत किया जा सकता है। हालांकि, विपक्षी दल पहले ही आक्रामक रुख अपना चुके हैं, जिससे इस सत्र में तीखी बहस और हंगामे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

 

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