दिल्ली में 15 साल पुरानी गाड़ियों की पेट्रोल पंप पर नो एंट्री!, पढ़िए दिल्ली वासियों की राय

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (02 मार्च 2025): दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा (Manjinder Singh Sirsa) ने घोषणा की है कि 31 मार्च 2025 से 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं दिया जाएगा। सरकार का मानना है कि पुराने वाहन दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution) में एक प्रमुख कारण हैं, इसलिए इन्हें सड़कों से हटाने के लिए यह सख्त कदम उठाया गया है। इस नियम के तहत न केवल पेट्रोल बल्कि डीजल वाहनों को भी प्रतिबंधित किया जाएगा, जिससे दिल्ली की हवा को स्वच्छ बनाया जा सके।

इस फैसले पर आम जनता के मिले-जुले विचार सामने आ रहे हैं। कुछ लोग इसे प्रदूषण कम करने की दिशा में सही कदम मान रहे हैं, जबकि कई लोगों को लगता है कि यह आम लोगों के लिए परेशानी का कारण बनेगा। अनौपचारिक तौर पर बुरारी के एक स्थानीय निवासी ने नाराजगी जताते हुए कहा, “जो लोग अपनी गाड़ी लोन पर लेते हैं, वे 7-8 साल में लोन चुका पाते हैं। जब उन्हें लगता है कि अब गाड़ी पूरी तरह उनकी हो गई है, तब अचानक पेट्रोल देना बंद कर दिया जाएगा, जो सही नहीं है।” उनका मानना है कि सरकार को इस फैसले से पहले जनता की समस्याओं पर विचार करना चाहिए। दिल्ली के वायु प्रदूषण में वाहनों का योगदान निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन यह कुल प्रदूषण का केवल एक छोटा हिस्सा है। बाकी प्रदूषण का बड़ा कारण निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआं है। सरकार को सिर्फ गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने के बजाय, फैक्ट्रियों और निर्माण स्थलों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

वहीं एक वाहन चालक नितिन ने बताया कि इस फैसले के बाद सवाल यह उठता है कि पुराने वाहनों के मालिक अब क्या करेंगे? सरकार ने पहले ही 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप (कबाड़) में बदलने की नीति लागू की है, लेकिन बहुत से लोगों के लिए नई गाड़ी खरीदना आसान नहीं है। सरकार को इस दिशा में कुछ विकल्प देने की जरूरत है, जैसे पुराने वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए सब्सिडी देना या प्रदूषण जांच प्रणाली को और सख्त करना ताकि केवल अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाया जाए।

सरकार का यह फैसला दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से लिया गया है, लेकिन इसके प्रभावों को संतुलित करने के लिए व्यावहारिक समाधान भी जरूरी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार जनता को पर्याप्त समय और वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराए तो यह फैसला अधिक प्रभावी हो सकता है। साथ ही, सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना इस दिशा में एक ठोस कदम हो सकता है।

सरकार के इस फैसले से दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में कितनी सफलता मिलेगी, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। लेकिन यह साफ है कि पुराने वाहन मालिकों के सामने अब एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। सरकार को जनता के आर्थिक और व्यावहारिक हितों को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित समाधान निकालना होगा, जिससे प्रदूषण भी कम हो और नागरिकों को भी कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।।


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