स्मार्टफोन और किशोर: डिजिटल युग में मानसिक स्वास्थ्य के लिए वरदान या अभिशाप? | टेन न्यूज विशेष
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (01 मार्च 2025): आज के दौर में स्मार्टफोन किशोरों के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है। यह न केवल शिक्षा, मनोरंजन और सामाजिक संपर्क का माध्यम है, बल्कि उनकी व्यक्तिगत और बौद्धिक वृद्धि का भी एक प्रमुख साधन बन चुका है। ऑनलाइन कक्षाएँ, शैक्षिक ऐप्स और डिजिटल संसाधनों की मदद से किशोरों को शिक्षा तक आसान पहुँच मिली है। सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए वे दुनिया भर से जुड़ सकते हैं, अपने विचार साझा कर सकते हैं और नई जानकारियाँ हासिल कर सकते हैं। स्मार्टफोन ने न केवल उनकी संवाद क्षमता को बढ़ाया है, बल्कि उन्हें रचनात्मक अभिव्यक्ति और करियर के नए अवसर भी प्रदान किए हैं।
हालांकि, स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग ने कई मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दिया है। अध्ययन बताते हैं कि स्मार्टफोन की लत किशोरों में अवसाद, चिंता, आत्म-सम्मान की कमी और ध्यान भटकाव जैसी समस्याओं को बढ़ावा दे सकती है। सोशल मीडिया पर मिलने वाली स्वीकार्यता की लालसा और आभासी दुनिया की चकाचौंध किशोरों की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर रही है। कई किशोर सोशल मीडिया पर दूसरों की जीवनशैली से अपनी तुलना करने लगते हैं, जिससे आत्म-संतुष्टि की भावना कम हो जाती है। इसके अलावा, साइबरबुलिंग और ऑनलाइन उत्पीड़न जैसी समस्याएँ भी बढ़ रही हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं।
नींद की कमी भी स्मार्टफोन के अनियंत्रित उपयोग का एक गंभीर परिणाम है। देर रात तक सोशल मीडिया स्क्रॉल करना, ऑनलाइन गेम्स खेलना या वीडियो देखना किशोरों की नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर नकारात्मक असर पड़ता है। स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग से किशोरों का ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी प्रभावित होती है, जिससे उनकी शैक्षणिक और व्यक्तिगत प्रदर्शन क्षमता पर असर पड़ सकता है।
संतुलित स्मार्टफोन उपयोग के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले, स्क्रीन टाइम को सीमित करना आवश्यक है ताकि किशोर डिजिटल संतुलन बनाए रख सकें। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, किशोरों को प्रतिदिन दो घंटे से अधिक स्क्रीन पर नहीं बिताना चाहिए। ‘डिजिटल डिटॉक्स’ अपनाना एक अच्छा तरीका हो सकता है, जहाँ सप्ताह में कुछ घंटे या एक दिन के लिए स्मार्टफोन से पूरी तरह दूरी बनाई जाए। मानसिक स्वास्थ्य ऐप्स और ऑनलाइन थेरेपी सेवाओं का उपयोग भी किशोरों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जिससे वे अपनी मानसिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं।
सकारात्मक सोशल मीडिया उपयोग को बढ़ावा देना भी जरूरी है। किशोरों को आत्म-स्वीकृति और आत्म-सम्मान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, ताकि वे सोशल मीडिया पर खुद को दूसरों से कमतर न आँकें। इसके अलावा, शारीरिक गतिविधियाँ, योग और ध्यान जैसी प्रथाएँ मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकती हैं। माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण है। उन्हें किशोरों को स्मार्टफोन के सकारात्मक उपयोग, मानसिक स्वास्थ्य के महत्त्व और समय प्रबंधन के बारे में जागरूक करना चाहिए।
स्मार्टफोन किशोरों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है, यदि इसका उपयोग संयमित और उद्देश्यपूर्ण तरीके से किया जाए। सही मार्गदर्शन और संतुलित डिजिटल जीवनशैली अपनाकर किशोर न केवल अपने मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि अपनी शिक्षा, करियर और सामाजिक जीवन में भी सफलता हासिल कर सकते हैं।
रंजन अभिषेक (टेन न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली)
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