नई दिल्ली (25 फरवरी 2025): दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की आर्थिक स्थिति लगातार खराब हो रही है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नई रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी का घाटा 2015-16 में 25,300 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 तक बढ़कर 60,750 करोड़ रुपये हो गया। रिपोर्ट में इस भारी नुकसान के लिए पुरानी बसों की संख्या अधिक होना, नए वाहनों की कम खरीद, और किराए में बढ़ोतरी न करने को प्रमुख कारण बताया गया है।
CAG की रिपोर्ट में डीटीसी की कई खामियों को उजागर किया गया है। सबसे बड़ी समस्या डीटीसी के बस बेड़े का पुराना होना है। रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी की 45% बसें पुरानी हो चुकी हैं, जिसके कारण वे बार-बार खराब होती हैं और यात्रियों को असुविधा होती है। इसके अलावा, बसों की संख्या भी जरूरत से काफी कम है। रिपोर्ट में कहा गया कि 2007 में दिल्ली हाईकोर्ट ने डीटीसी को 11,000 बसों का बेड़ा रखने का निर्देश दिया था, लेकिन 2022 के अंत तक डीटीसी के पास केवल 3,937 बसें थीं। इनमें से 1,770 बसें 10 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी थीं और जल्द ही उन्हें हटाना जरूरी होगा। रिपोर्ट में डीटीसी के खराब प्रबंधन और सरकार की अनदेखी पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। दिल्ली सरकार ने किराया बढ़ाने के अनुरोधों को लगातार नजरअंदाज किया, जिससे राजस्व बढ़ाने का कोई विकल्प नहीं बचा। साथ ही, महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा लागू करने से डीटीसी पर आर्थिक बोझ और बढ़ गया। इसके अलावा, डीटीसी ने केंद्र सरकार की FAME-I योजना के तहत 49 करोड़ रुपये की सहायता भी नहीं ली, जिससे नई बसों की खरीद में देरी हुई।
CAG रिपोर्ट में डीटीसी की रूट प्लानिंग पर भी सवाल उठाए गए हैं। दिल्ली में कुल 814 रूटों में से डीटीसी केवल 468 रूटों (57%) पर ही बसें चला रहा है। इसका सीधा असर परिचालन लागत पर पड़ रहा है। 2015-22 के बीच डीटीसी को परिचालन पर 14,199 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी का कोई भी रूट अपनी लागत निकालने में सक्षम नहीं है।दिलचस्प बात यह है कि डीटीसी के मुकाबले क्लस्टर बसें बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, हर 10,000 किमी संचालन पर डीटीसी की 2.9 से 4.5 बसें खराब हो जाती हैं, जबकि क्लस्टर बसों में यह आंकड़ा काफी कम है। CAG ने कहा कि डीटीसी और क्लस्टर बसें एक जैसी परिस्थितियों में काम कर रही हैं, फिर भी डीटीसी की कार्यप्रणाली कमजोर साबित हो रही है।
डीटीसी के वित्तीय संकट के बावजूद, दिल्ली सरकार ने 2015 से 2022 के बीच डीटीसी को 13,381 करोड़ रुपये का अनुदान दिया। इसके बावजूद 818 करोड़ रुपये का घाटा बना हुआ है। CAG रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि डीटीसी और दिल्ली परिवहन विभाग के बीच वित्तीय और भौतिक लक्ष्यों को निर्धारित करने के लिए कोई समझौता ज्ञापन (MoU) तक नहीं किया गया। CAG ने डीटीसी को ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम लागू न करने और बसों में सीसीटीवी सर्विलांस सिस्टम को पूरा न करने पर भी फटकार लगाई है। यह प्रोजेक्ट नौ साल पहले शुरू किया गया था, लेकिन अभी तक अधूरा है। इससे यात्रियों की सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं।
इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद दिल्ली में सियासी बवाल तेज हो गया है। BJP ने AAP सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने डीटीसी को आर्थिक रूप से कमजोर बना दिया और अब भ्रष्टाचार को छिपाने की कोशिश कर रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने इस रिपोर्ट को सरकार के खिलाफ एक राजनीतिक हथियार बताया। अब सवाल उठता है कि क्या दिल्ली सरकार डीटीसी के इस गंभीर संकट से उबरने के लिए ठोस कदम उठाएगी या यह सिर्फ एक राजनीतिक बहस का मुद्दा बनकर रह जाएगा? CAG की रिपोर्ट ने निश्चित रूप से दिल्ली सरकार की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।।
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