नई दिल्ली (25 फरवरी 2025): दिल्ली की आबकारी नीति को लेकर जारी की गई CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) रिपोर्ट ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार आम आदमी पार्टी की सरकार के समय 2021-22 की आबकारी नीति के कारण न केवल सरकारी खजाने को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, बल्कि शराब की गुणवत्ता को लेकर भी भारी अनियमितताएं सामने आईं। दिल्ली में शराब बिक्री के लिए जारी किए गए लाइसेंसों में गुणवत्ता मानकों का सही से पालन नहीं किया गया, जिससे लोगों की सेहत से भी खिलवाड़ हुआ।
CAG ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि शराब की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी आबकारी विभाग (Excise Department) की थी, लेकिन विभाग इसमें असफल रहा।FSSAI एक्ट के तहत शराब को खाद्य सामग्री का दर्जा दिया गया है, और इसकी टेस्टिंग के लिए BIS (Bureau of Indian Standards) मानक निर्धारित हैं। हालांकि, दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग ने कई ब्रांड्स को बिना उचित टेस्टिंग रिपोर्ट के ही लाइसेंस जारी कर दिए, जिससे नियमों का स्पष्ट उल्लंघन हुआ। ऑडिट में सामने आया कि 51% विदेशी शराब की टेस्टिंग रिपोर्ट या तो उपलब्ध नहीं थी, एक साल से अधिक पुरानी थी, या फिर उसमें जरूरी विवरणों का उल्लेख नहीं किया गया था। इसके अलावा, कई मामलों में जो परीक्षण रिपोर्ट जमा की गई थी, वे NABL (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories) से मान्यता प्राप्त लैब्स से प्रमाणित नहीं थीं। यह गंभीर लापरवाही दर्शाती है कि शराब की गुणवत्ता को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार ने पर्याप्त सावधानी नहीं बरती।
CAG रिपोर्ट में शराब में मौजूद हानिकारक तत्वों, भारी धातुओं और मिथाइल अल्कोहल की जांच को लेकर भी गड़बड़ियां पाई गईं। कई ब्रांड्स की ओर से शराब में पानी की गुणवत्ता और माइक्रो बायोलॉजिकल परीक्षण रिपोर्ट भी पेश नहीं की गई, जिससे शराब की शुद्धता को लेकर सवाल खड़े होते हैं। इसके बावजूद आबकारी विभाग ने इन कंपनियों को लाइसेंस जारी कर दिया, जिससे जनता की सेहत को खतरे में डाला गया। रिपोर्ट के अनुसार, 166 पन्नों की इस जांच रिपोर्ट के पेज 47 से 55 तक यह विस्तार से बताया गया है कि कैसे बिना सही जांच-पड़ताल के शराब बिक्री की अनुमति दी गई। आबकारी विभाग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट्स में गंभीर खामियां और अनियमितताएं पाई गईं। यह दर्शाता है कि शराब घोटाले में केवल आर्थिक भ्रष्टाचार ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ी सुरक्षा मानकों की भी बड़े स्तर पर अनदेखी की गई।
वीरेंद्र सचदेवा ने इस पर कहा कि आज दिल्ली विधानसभा में प्रस्तुत CAG रिपोर्ट से स्पष्ट है कि भ्रष्ट केजरीवाल सरकार की शराब नीति में ₹2,002.68 करोड़ का घोटाला हुआ था। अवैध रूप से दुकानें खोलने से ₹941.53 करोड़ का घाटा हुआ।सरेंडर किए गए लाइसेंसों की फिर से नीलामी न करने से ₹890 करोड़ की हानि हुई। COVID-19 के नाम पर ज़ोनल लाइसेंसियों को ₹144 करोड़ की छूट दिया गया। सुरक्षा जमा राशि ठीक से न लेने से ₹27 करोड़ का नुकसान हुआ। आज न सिर्फ दिल्ली, बल्कि पूरा देश देख रहा है कि AAP- दा सरकार की शराब नीति में हुए भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन ने दिल्ली की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान पहुँचाया है।
इस घोटाले को लेकर दिल्ली की वर्तमान बीजेपी सरकार में आम आदमी पार्टी के प्रति भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। शराब की गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद दिल्ली सरकार पूर्व की AAP सरकार की जवाबदेही तय करने की मांग तेज हो गई है। CAG की रिपोर्ट आने के बाद यह साफ हो गया है कि दिल्ली की आबकारी नीति में बड़े स्तर पर गड़बड़ियां थीं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इस पर कोई ठोस कार्रवाई करती है या नहीं। जनता की सेहत के साथ हुए इस खिलवाड़ पर सख्त कदम उठाने की मांग तेज होती जा रही है।
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