रिटायर्ड अधिकारी से करोड़ों की साइबर ठगी, दो आरोपी गिरफ्तार

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा, (23 फरवरी 2025): साइबर अपराधियों द्वारा ठगी के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, और खासकर रिटायर्ड लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। ग्रेटर नोएडा में एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया, जिसमें भंडारण निगम से रिटायर हुए एक अधिकारी से 1.19 करोड़ रुपये की ठगी की गई। इस मामले में गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस के अनुसार, रमेश कुमार (परिवर्तित नाम) जो भंडारण निगम के पूर्व अधिकारी हैं, वर्तमान में दिल्ली में निवास कर रहे हैं। एक दिन उनके मोबाइल पर एक व्हाट्सएप कॉल आई, जिसमें महिला ने स्वयं को एसबीआई बैंक के क्रेडिट कार्ड कस्टमर सर्विस से होना बताया। उसने रमेश कुमार को बताया कि उनके नाम पर एक क्रेडिट कार्ड मुंबई से जारी हुआ है, जिस पर करीब दो लाख रुपये का बकाया है और यह कार्ड अवैध रूप से उनके आधार और पैन कार्ड का उपयोग करके बनाया गया है।

रमेश कुमार ने जब इस बारे में अनभिज्ञता जाहिर की, तो महिला ने उन्हें बताया कि इस कार्ड का उपयोग कई गलत गतिविधियों में किया गया है और इसकी शिकायत मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच में दर्ज है। इसके बाद, महिला ने कॉल को कथित रूप से मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच से जोड़ दिया, जहां एक पुरुष ने स्वयं को अधिकारी बताते हुए रमेश को सूचित किया कि उनका नाम 2.5 करोड़ रुपये के घोटाले में आया है और जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है। फिर कॉल को एक अन्य व्यक्ति से जोड़ दिया गया, जिसने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और रमेश को चेतावनी दी कि उनका आधार और पैन कार्ड 3 करोड़ रुपये के चिटफंड घोटाले में उपयोग किया गया है।

रमेश ने जब अपनी ईमानदारी की बात कही, तो कथित सीबीआई अधिकारी ने कहा कि यदि वे जांच में सहयोग करेंगे तो उनका नाम इस केस से हटा दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के अधीन है और उन्हें न्यायालय में ट्रायल का सामना करना पड़ सकता है। बुजुर्ग होने का हवाला देने पर रमेश को डिजिटल इन्वेस्टिगेशन में शामिल होने को कहा गया और वीडियो कॉल के माध्यम से एक कथित जज से बातचीत कराई गई।

वीडियो कॉल में सामने मौजूद व्यक्ति ने जज की पोशाक पहनी थी और सख्त लहजे में रमेश से पूछताछ की। कथित सीबीआई अधिकारी ने जज से रमेश के प्रति सहानुभूति दिखाने की गुजारिश की, लेकिन जज ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि मामले में अन्य आरोपी भी शामिल हैं और उन्हें सीबीआई की जांच में पूरा सहयोग करना होगा।

इसके बाद, कथित सीबीआई अधिकारी ने रमेश को बताया कि आरबीआई इस मामले की जांच कर रही है और उन्हें अपनी पूरी धनराशि आरबीआई के विशेष खाते में ट्रांसफर करनी होगी ताकि पुष्टि हो सके कि उनके पैसे का स्रोत वैध है। अधिकारी ने धमकी भरे अंदाज में कहा कि यदि वह सहयोग नहीं करेंगे, तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।

डर और दबाव में आकर रमेश कुमार ने अपने बैंक खाते और म्युचुअल फंड से 1.19 करोड़ रुपये इकट्ठा कर साइबर अपराधियों द्वारा बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद, दो दिनों तक उन्हें लगातार कॉल और वीडियो कॉल के जरिए नियंत्रण में रखा गया, ताकि वे किसी से संपर्क न कर सकें। जब अपराधियों को यकीन हो गया कि रमेश के पास और पैसा नहीं बचा, तो उन्होंने संपर्क तोड़ दिया।

बाद में जब रमेश ने अपने पैसे वापस लेने के लिए अपराधियों से संपर्क करने की कोशिश की और कोई जवाब नहीं मिला, तो उन्हें एहसास हुआ कि वे ठगी के शिकार हो चुके हैं। उन्होंने तुरंत नोएडा साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच शुरू की और दो आरोपियों को गिरफ्तार किया—एक को गुड़गांव, हरियाणा से और दूसरे को गुजरात से।

साइबर अपराध से बचाव के लिए जरूरी सतर्कता

साइबर पुलिस ने लोगों से अपील की है कि यदि कोई व्यक्ति खुद को पुलिस, सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स या अन्य किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर वीडियो कॉल के माध्यम से पूछताछ करता है, एफआईआर या सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिखाकर डराने की कोशिश करता है, तो सतर्क रहें। ऐसे मामलों की तुरंत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर सेल में शिकायत करें और किसी भी अनजान खाते में पैसे ट्रांसफर न करें। सतर्कता ही साइबर ठगी से बचाव का सबसे बड़ा उपाय है।


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