नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़: जिम्मेदार कौन?

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (16 फरवरी 2025): नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मचने से 18 लोगों की जान चली गई। मिली जानकारी के मुताबिक मृतकों में 9 महिलाएं, 5 बच्चे और 4 पुरुष शामिल हैं। मरने वालों में 9 लोग बिहार के, 8 दिल्ली के और 1 हरियाणा का था। हादसे में कई लोग घायल भी हुए, जिनका इलाज LNJP अस्पताल में चल रहा है। हादसे की जांच के आदेश दे दिए गए हैं, लेकिन कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह त्रासदी क्यों और कैसे हुई।

प्लेटफॉर्म बदलने की अनाउंसमेंट से मची अफरातफरी

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज जाने के लिए भारी भीड़ उमड़ी थी, क्योंकि महाकुंभ के चलते यात्रियों की संख्या कई गुना बढ़ गई थी। प्रयागराज जाने वाली तीन ट्रेनों – शिवगंगा एक्सप्रेस, भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस और स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस – के लिए हजारों यात्री टिकट खरीद रहे थे और प्लेटफॉर्म पर इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान अनाउंसमेंट हुई कि भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस, जो पहले प्लेटफॉर्म नंबर 12 पर आनी थी, उसे प्लेटफॉर्म नंबर 16 पर भेज दिया गया है। यह सुनते ही यात्री तेजी से प्लेटफॉर्म बदलने के लिए भागने लगे, जिससे धक्का-मुक्की हुई और भगदड़ मच गई।

ट्रेनों के देरी से आने ने बढ़ाई भीड़

प्रयागराज जाने वाली ट्रेनें देर से चल रही थीं, जिससे स्टेशन पर भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थी। शिवगंगा एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़ी थी, जबकि बाकी दो ट्रेनों का इंतजार किया जा रहा था। जब अचानक ट्रेनों के आने की घोषणा हुई, तो यात्रियों ने जल्दबाजी में प्लेटफॉर्म बदलने की कोशिश की और एस्केलेटर व सीढ़ियों के पास भीड़ बढ़ने लगी। इसी दौरान अफरातफरी मची और कई लोग गिर पड़े, जिसके बाद भगदड़ और भयानक हो गई।

भीड़ प्रबंधन में रेलवे प्रशासन और आरपीएफ की नाकामी

महाकुंभ के कारण स्टेशनों पर भीड़ बढ़ने की आशंका पहले से थी, लेकिन रेलवे प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं किए थे। ना ही कंट्रोल रूम बनाया गया था और ना ही सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम थे। शनिवार शाम 4 बजे से ही रेलवे स्टेशन पर भीड़ जमा होने लगी थी, लेकिन अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। हादसे के बाद दिल्ली पुलिस और रेलवे पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

यहां एक बड़ा सवाल यह भी है कि बीते ही दिनों प्रयागराज में भगदड़ की घटना हुई जिसमें दर्जनों लोगों की दुखद मौत हो गई। इस घटना ने रेलवे प्रशासन से भीड़ प्रबंधन को लेकर क्या सीखा? जब स्टेशन पर भीड़ बेकाबू होता नजर आया तो आखिर यात्रियों के प्रवेश को क्यों नहीं रोका गया? भीड़ प्रबंधन के लिए क्या कदम उठाए गए?

भीड़ बढ़ने के बावजूद धड़ल्ले से टिकट बिक्री

रेलवे ने स्थिति को भांपने के बावजूद भीड़ को नियंत्रित करने के लिए टिकट बिक्री पर कोई रोक नहीं लगाई। 400 सीटों के लिए हर घंटे 1500 टिकट बेचे गए, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। जनरल कोच में सीमित सीटें होती हैं, लेकिन इसके बावजूद जरूरत से ज्यादा टिकट जारी किए गए, जिससे यात्री ट्रेन में चढ़ने के लिए हड़बड़ी करने लगे और भगदड़ मच गई।

फुटब्रिज और सीढ़ियों पर बैठे यात्रियों ने बढ़ाई मुश्किलें

स्टेशन पर भारी भीड़ थी, लेकिन यात्रियों को सुव्यवस्थित करने की कोई व्यवस्था नहीं थी। कई लोग सीढ़ियों और फुटब्रिज पर बैठ गए थे, जिससे प्लेटफॉर्म पर जगह कम हो गई और भगदड़ की स्थिति बनी। हादसे के बाद भी रेलवे प्रशासन ने तुरंत हेल्पलाइन नंबर जारी नहीं किया, बल्कि आनन-फानन में प्लेटफॉर्म को खाली कर सफाई शुरू कर दी।

क्या यह हादसा रोका जा सकता था?

इस हादसे ने रेलवे प्रशासन और सरकार की लापरवाही को उजागर कर दिया है। अगर पहले से ही भीड़ नियंत्रण की योजना बनाई जाती, प्लेटफॉर्म बदलने की अनाउंसमेंट सुव्यवस्थित तरीके से होती और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होते, तो यह हादसा टाला जा सकता था। अब सवाल उठता है कि क्या इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी, या फिर इसे भी बाकी रेल हादसों की तरह भुला दिया जाएगा?।।


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