नई दिल्ली (13 फरवरी 2025): संसद के बजट सत्र 2025 के दौरान गुरुवार को राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर भारी हंगामा देखने को मिला। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट विपक्ष के विरोध के बावजूद सदन में स्वीकार कर ली गई, जिससे विपक्षी सांसदों ने असहमति जताई और सदन से वॉकआउट कर दिया। भारी विरोध और नारेबाजी के बीच सभापति जगदीप धनखड़ को कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
विधेयक पर विपक्ष का विरोध और सदन में हंगामा
वक्फ विधेयक 2024 वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से लाया गया है। इस पर संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट राज्यसभा में सांसद मेधा कुलकर्णी ने पेश की। विपक्षी सांसदों ने दावा किया कि उनकी असहमति को रिपोर्ट से हटा दिया गया, जिसके कारण उन्होंने सदन में जोरदार नारेबाजी की।
विपक्ष का आरोप था कि जेपीसी की रिपोर्ट में उनकी आपत्तियों को शामिल नहीं किया गया, जबकि भाजपा सरकार ने दावा किया कि सभी असहमति के नोट परिशिष्ट में जोड़े गए हैं। हंगामा बढ़ता देख सभापति धनखड़ को कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी, लेकिन दोबारा शुरू होने के बाद भी विपक्षी दलों का विरोध जारी रहा।
खड़गे बोले— ‘फर्जी रिपोर्ट स्वीकार नहीं’, नड्डा का पलटवार
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने जेपीसी रिपोर्ट को फर्जी करार दिया और इसे वापस भेजने की मांग की। उन्होंने कहा, “हमारी असहमति को रिपोर्ट में से हटा दिया गया। विचारों को दबाया जाना लोकतंत्र के खिलाफ है। हम इस फर्जी रिपोर्ट को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।”
इस पर जवाब देते हुए भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि, “कुछ लोग इंडियन स्टेट से लड़ने की कोशिश कर रहे हैं।”
वहीं, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष सदन को गुमराह कर रहा है और रिपोर्ट में कुछ भी नहीं हटाया गया है।
क्या है वक्फ विधेयक 2024?
वक्फ बोर्ड मुस्लिम समुदाय द्वारा दान की गई धार्मिक संपत्तियों की देखरेख करता है। नया वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 वक्फ बोर्डों के प्रशासन में बड़ा बदलाव लाने का प्रस्ताव करता है।
•राज्य के वक्फ बोर्डों में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल किए जाएंगे।
•किसी संपत्ति के वक्फ संपत्ति होने या न होने का फैसला सरकारी अधिकारी की मध्यस्थता में किया जाएगा।
पहले यह विधेयक संसद में पेश किया गया था, जिसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया। रिपोर्ट के अनुसार, एनडीए सांसदों द्वारा प्रस्तावित 14 संशोधनों को मंजूरी दी गई, जबकि विपक्ष के संशोधनों को खारिज कर दिया गया। 30 जनवरी को जेपीसी की अंतिम रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी गई थी।
विपक्ष के विरोध के बावजूद रिपोर्ट स्वीकार
विपक्ष के विरोध और वॉकआउट के बावजूद राज्यसभा में जेपीसी की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया। हालांकि, यह विधेयक अब भी राजनीतिक बहस और विवादों के केंद्र में बना हुआ है। विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ बताया है, जबकि सरकार इसे वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रशासन के लिए एक जरूरी कदम मान रही है।।
प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन नई दिल्ली, दिल्ली सरकार, दिल्ली राजनीति, दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : हिंदी न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।
Discover more from टेन न्यूज हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
टिप्पणियाँ बंद हैं।