महाकुंभ भगदड़ पर चर्चा को लेकर AAP सांसद ने राज्यसभा में कार्य स्थगन का दिया नोटिस

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (10 फरवरी 2025): राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना को लेकर नियम 267 के तहत सदन की कार्यवाही स्थगित करने और तत्काल चर्चा कराने की मांग की है। उन्होंने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर कुप्रबंधन और वीआईपी संस्कृति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया, जिससे इस त्रासदी को रोका नहीं जा सका।

संजय सिंह ने अपने नोटिस में लिखा कि महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, लेकिन यह बीते 70 वर्षों में छठी बार भगदड़ जैसी त्रासदी का गवाह बना। हालाँकि व्यवस्थाओं पर ₹7,500 करोड़ से अधिक खर्च किया गया, फिर भी आम श्रद्धालुओं को अव्यवस्थाओं का शिकार होना पड़ा। वीआईपी और वीवीआईपी के लिए लक्जरी कॉटेज, निजी गंगा स्नान और 24/7 नियंत्रण कक्ष जैसी सुविधाएं उपलब्ध थीं, लेकिन आम श्रद्धालुओं को भीड़भाड़ वाले पुलों और बाधाओं का सामना करना पड़ा। चश्मदीदों के अनुसार, भगदड़ से पहले श्रद्धालुओं ने अतिरिक्त मार्ग खोलने की गुहार लगाई थी, लेकिन उनकी पुकार अनसुनी कर दी गई।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वीआईपी पास की कीमत ₹55,000 प्रति व्यक्ति थी। संजय सिंह ने सवाल उठाया कि क्या यही उन मृतकों के जीवन की कीमत थी? उन्होंने बताया कि कुम्भ मेले में भगदड़ का लंबा इतिहास रहा है। 1840, 1906, 1954 (इलाहाबाद), 1986 (हरिद्वार), 2003 (नासिक), 2013 (इलाहाबाद रेलवे स्टेशन), और अब 2025 में त्रासदी ने 30 लोगों की जान ले ली और 90 से अधिक लोग घायल हो गए।

उन्होंने आगे कहा कि 3 फरवरी तक 34 करोड़ से अधिक श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल हो चुके थे, लेकिन सुरक्षा इंतजाम नाकाफी साबित हुए। वीआईपी को निर्बाध प्रवेश मिला, जबकि आम भक्तों को खतरनाक हालात का सामना करना पड़ा। त्रिवेणी संगम घाट पर हुई इस भगदड़ ने सरकार की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। संजय सिंह ने कहा कि सरकार को इन रोकथाम योग्य मौतों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए।

उन्होंने मांग की कि नियम 267 के तहत राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर इस गंभीर विषय पर तत्काल चर्चा कराई जाए।


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