नई दिल्ली (07 फरवरी 2025): राम मंदिर आंदोलन के महत्वपूर्ण चेहरों में से एक, कामेश्वर चौपाल का 68 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। पिछले कुछ समय से वह बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे। कामेश्वर चौपाल बिहार के सुपौल जिले के रहने वाले थे और उन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी। उस समय वह विश्व हिंदू परिषद (VHP) के सदस्य थे और उन्हें RSS की ओर से पहले कार सेवक का दर्जा दिया गया था।
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “भाजपा के वरिष्ठ नेता और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे एक अनन्य रामभक्त थे, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में बहुमूल्य योगदान दिया। दलित पृष्ठभूमि से आने वाले कामेश्वर जी समाज के वंचित समुदायों के कार्यों के लिए भी हमेशा याद किए जाएंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और समर्थकों के साथ हैं।”
राम मंदिर आंदोलन में उनकी भूमिका बेहद अहम रही थी। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के स्थायी सदस्य होने के साथ-साथ वह विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। उन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित किया। बीजेपी ने भी उनके निधन पर दुख जताते हुए कहा कि उनका जाना समाज के लिए एक बड़ी क्षति है।
कामेश्वर चौपाल ने 1991 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) जॉइन की थी। उन्होंने दो बार विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके। हालांकि, 2002 से 2014 तक वह राज्यसभा सांसद रहे और इस दौरान कई महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर अपनी राय रखी।
उनका निधन न केवल राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं के लिए बल्कि पूरे धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।।
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