दिल्ली की ये 2 विधानसभा सीट, जहां आजतक कोई गैर मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सके | टेन न्यूज विशेष
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (26 जनवरी 2025): दिल्ली विधान सभा चुनाव को लेकर सियासी गहमागहमी तेज हो गई है। आरोप -प्रत्यारोप के साथ सभी सियासी पार्टियों के प्रत्याशी पूरी दमखम के साथ मैदान में उतर चुके हैं। ऐसे में आज हम आपको दिल्ली विधान सभा चुनाव को लेकर कुछ खास बातें बताने वाले हैं।
आप जानते हैं कि दिल्ली में कुल 70 विधानसभा की सीटें हैं। और इन सभी सीटों का अपना खास महत्व है, दिल्ली में किसी भी राजनीतिक पार्टी को बहुमत की सरकार बनाने के लिए कम से कम 36 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी। दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने 2020 के चुनाव में 63 सीटों पर जीत दर्ज कर प्रचंड बहुमत हासिल की थी और अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि दिल्ली की इन 70 विधानसभा की सीटों में से 2 विधान सभा की ऐसी सीट है जहां अबतक कोई गैर मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता। ये सीट हैं मटिया महल और बल्लीमारान विधानसभा।
मटिया महल में 1972 से अबतक नहीं जीत पाए गैर मुस्लिम प्रत्याशी
दिल्ली की मटिया महल सीट पर हमेशा से ही अकलियत के लोग निर्णायक भूमिका में रहे हैं। आपको बता दें कि सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र के बाद मटिया महल ही दूसरा सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्र है। 1972 से अबतक इस सीट पर कोई भी गैर मुस्लिम प्रत्याशी जीत नहीं पाए हैं। दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में मौजूद मटिया महल विधानसभा की सीट कई मायनों में बेहद खास है। इस सीट पर निर्णायक भूमिका मुस्लिम मतदाता निभाते हैं। मटिया महल विधानसभा सीट में अजमेरी गेट, लालकुआं, जामा मस्जिद, मिंटो रोड, डीडीयू मार्ग, टैगोर रोड, सीताराम बाजार और चावड़ी बाजार के इलाके आते हैं।
इस सीट की सबसे रोचक बात यह है कि पिछले 35 वर्षों में इस सीट से किसी गैर मुस्लिम प्रत्याशी को जीत नहीं मिली। 2020 के विधानसभा चुनाव में मटिया महल विधानसभा में कुल 75.96 प्रतिशत वोट पड़े थे। आम आदमी पार्टी के शोएब इकबाल ने भाजपा के रविंद्र गुप्ता को 50241 मतों के अंतर से हराया था।
मटिया महल विधानसभा सीट पर जहां आम आदमी पार्टी ने मौजूदा विधायक शोएब इकबाल के बेटे आले मोहम्मद इकबाल को टिकट दिया है, तो वहीं कांग्रेस ने असीम अहमद साल को मैदान में उतारा है और बीजेपी ने दीप्ति इंदौरा को मैदान में उतारा है।
बल्लीमारान विधान सभा: भाजपा ने नहीं चखा जीत का स्वाद
मिर्जा गालिब की गलियों में इन दिनों सियासी तराने गूंज रहे हैं। हम बात कर रहे हैं दिल्ली के दूसरे सबसे छोटे विधानसभा क्षेत्र बल्लीमारान की, जहां का राजनीतिक इतिहास काफी दिलचस्प है। बल्लीमारान विधानसभा सीट पर वर्तमान में आम आदमी पार्टी के इमरान हुसैन विधायक हैं और आप सरकार के मुख्य मुस्लिम चेहरा हैं। इस सीट की सबसे खास बात यह है कि इस सीट पर आज तक भाजपा ने जीत का स्वाद नहीं चखा है। बल्लीमारान विधानसभा सीट पर हर चुनाव के बाद भाजपा के प्रत्याशी को दूसरे या तीसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा है।
इस सीट पर लम्बे समय तक कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा। शिला दीक्षित की सरकार के समय इस सीट पर कांग्रेस नेता हारून यूसुफ का कब्जा रहा। 1993 से लेकर 2015 तक लगातार 5 बार हारून यूसुफ इस सीट पर चुनाव जीते और सदन पहुंचे। 2015 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी इमरान हुसैन ने जीत दर्ज की और फिर 2020 के विधानसभा चुनाव में भी इमरान हुसैन ने इस सीट पर कामयाबी हासिल की।
कहा जाता है कि बल्लीमारान विधानसभा सीट पर कोई विधायक चुनाव नहीं जीतता बल्कि यहां से जो चुनाव जीतता है वो सीधा मंत्री बनता है। पुराने आंकड़ों को देखें तो एक बार को छोड़कर यहां से जितनी बार हारून यूसुफ ने जीत दर्ज की वे दिल्ली सरकार में मंत्री रहे और अब इमरान हुसैन लगातार 2015 के बाद से मंत्री हैं।
दिल्ली विधान सभा चुनाव 2025 में बल्लीमारान विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी ने इमरान हुसैन को मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने अपने पुराने साथी हारून यूसुफ पर एकबार फिर भरोसा जताया है और भाजपा ने इस सीट पर कमल बागड़ी पर दांव लगाया है।
गौरतलब है कि दिल्ली में आगामी 5 फरवरी को विधान सभा चुनाव 2025 के लिए मतदान होना है और 08 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे।।
रंजन अभिषेक (टेन न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली)
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