नई दिल्ली (24 जनवरी 2025): दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा विधायकों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कैग (CAG) की 14 रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई थी। अदालत ने कहा कि संविधान के तहत CAG रिपोर्ट पेश करना अनिवार्य है, लेकिन कोर्ट विधानसभा सत्र बुलाने का आदेश नहीं दे सकता।
भाजपा विधायकों को उम्मीदों पर पानी
भाजपा के आठ विधायकों, जिनमें विजेंद्र गुप्ता, मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन शामिल थे, ने यह याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर CAG रिपोर्ट पेश करने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया था।
हालांकि, जस्टिस सचिन दत्ता ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान के अनुसार रिपोर्ट पेश करना जरूरी है, लेकिन अदालत विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए कोई आदेश नहीं दे सकती।
अदालत का फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि CAG रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने में अत्यधिक देरी हुई है, जो गंभीर चिंता का विषय है। लेकिन अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वह विधानसभा के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
यह फैसला ऐसे समय आया है जब दिल्ली में राजनीतिक माहौल गर्म है। भाजपा ने इसे आप सरकार की “जवाबदेही से बचने की रणनीति” करार दिया है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने इस फैसले को “संविधान की मर्यादा का सम्मान” बताते हुए भाजपा पर अदालत का समय बर्बाद करने का आरोप लगाया।
चुनावों के मद्देनजर यह मुद्दा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। भाजपा इस फैसले को जनता के बीच लेकर जाएगी, जबकि आप इसे अपने पक्ष में भुनाने की तैयारी कर रही है।
अब देखना यह है कि CAG रिपोर्ट को लेकर आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और यह मुद्दा चुनावों में कितना प्रभाव डालता है।
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