AAP की ‘शिक्षा क्रांति’ पर उठे सवाल, बच्चों को बाहर करने की ‘फ़िल्टरिंग पॉलिसी’: शिक्षा मंत्री आशीष सूद
टेन न्यूज़ नेटवर्क
New Delhi News (13 December 2025): राज्यसभा में सामने आए आंकड़ों के बाद दिल्ली की पूर्व AAP सरकार की तथाकथित ‘शिक्षा क्रांति’ पर सियासी घमासान तेज हो गया है। दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इन आंकड़ों के आधार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यह कोई शिक्षा सुधार नहीं, बल्कि बच्चों को सिस्टम से बाहर करने की “फ़िल्टरिंग पॉलिसी” थी। उन्होंने कहा कि अब यह साफ हो चुका है कि पिछली सरकार की नीति बच्चों का भविष्य संवारने की नहीं, बल्कि नतीजों और आंकड़ों को बेहतर दिखाने की थी।
आशीष सूद ने कहा कि इस पूरे मामले में सबसे अहम बात यह है कि शिक्षा मॉडल पर सवाल किसी अन्य दल ने नहीं, बल्कि AAP की अपनी राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने उठाया है। उन्होंने संसद में पूछा कि कक्षा 9 में फेल हुए बच्चों को बड़े पैमाने पर NIOS में भेजना वास्तव में उन्हें दूसरा मौका देना था या फिर स्कूलों के परिणाम सुधारने का तरीका। सूद ने कहा कि जब अपनी ही पार्टी की सांसद यह सवाल उठाने को मजबूर हो जाएं, तो उस मॉडल की सच्चाई अपने-आप सामने आ जाती है।
राज्यसभा में शिक्षा मंत्रालय द्वारा दिए गए लिखित जवाब के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 के 3.20 लाख से अधिक छात्र फेल हुए। आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं—2020–21 में 31,541, 2021–22 में 28,548, 2022–23 में 88,421, 2023–24 में 1,01,344 और 2024–25 में 70,296 छात्र फेल हुए। कुल मिलाकर 3,20,150 बच्चों का भविष्य इस नीति से प्रभावित हुआ।
इसी अवधि में 71 हजार से अधिक छात्रों को NIOS में दाखिल किया गया, जिनमें अकेले 2022–23 में 29,436 दाखिले हुए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आशीष सूद ने कहा कि NIOS एक वैकल्पिक और सहायक व्यवस्था हो सकती है, लेकिन सामने आए आंकड़े बताते हैं कि इसका इस्तेमाल सहयोग के लिए नहीं, बल्कि बच्चों को मुख्यधारा से हटाने के लिए किया गया। उनका सवाल था कि क्या NIOS बच्चों को आगे बढ़ाने का जरिया बना या उन्हें चुपचाप सिस्टम से बाहर करने का रास्ता।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि जब कक्षा 9 में इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को फेल किया जाता है और हजारों को नियमित स्कूलों से बाहर कर दिया जाता है, तो कक्षा 10वीं और 12वीं में ऊंचा पास प्रतिशत किसी उपलब्धि का प्रमाण नहीं होता। उन्होंने इसे “रिज़ल्ट-मैनेजमेंट पॉलिसी” करार देते हुए कहा कि इसे दुनिया का नंबर-वन शिक्षा मॉडल बताना बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों—तीनों का अपमान है।
मौजूदा सरकार की प्राथमिकताओं पर बात करते हुए आशीष सूद ने कहा कि ये आंकड़े सिर्फ नंबर नहीं हैं, बल्कि इनके पीछे लाखों सपने और परिवारों की उम्मीदें जुड़ी हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि समय रहते इन बच्चों को अकादमिक सहायता क्यों नहीं दी गई। सूद ने स्पष्ट किया कि वर्तमान सरकार की नीति बच्चों को बाहर करने की नहीं, बल्कि उन्हें संभालने की है—कक्षा 8 और 9 में शुरुआती हस्तक्षेप, मजबूत शैक्षणिक सहयोग, पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ। उन्होंने कहा कि असली शिक्षा क्रांति वही होगी, जहां हर बच्चा गिना जाएगा, सिर्फ पास होने वाले नहीं।।
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