कैंसर रोकथाम से लेकर आधुनिक इलाज तक: विशेषज्ञ डॉ. प्रफुल पांडेय ने बताए मिथक और सच

टेन न्यूज़ नेटवर्क

National News (06 December 2025): कैंसर- एक ऐसा शब्द जो सुनते ही लोगों के मन में डर बैठ जाता है। लेकिन क्या वास्तव में कैंसर उतना ही भयावह है जितना माना जाता है? क्या यह हमेशा जानलेवा होता है? इन सभी सवालों के जवाब देने के लिए AIIMS दिल्ली से प्रशिक्षित DM मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. प्रफुल पांडे ने कैंसर से जुड़े मिथक, आधुनिक उपचार और रोकथाम की अहमियत पर विस्तार से चर्चा की।

कैंसर क्या होता है?

डॉ. पांडे बताते हैं कि कैंसर असल में शरीर की कोशिकाओं का अनियंत्रित रूप से बढ़ना है, जो किसी भी अंग में शुरू हो सकता है।
वे कहते हैं “आज कैंसर का इलाज पहले की तुलना में अधिक प्रभावी, सुरक्षित और व्यक्तिगत (Personalised) हो चुका है। समय पर पहचान सबसे बड़ी कुंजी है।”

रोकथाम: आदतों में छुपा है सबसे बड़ा बचाव

1. तम्बाकू से दूरी

भारत में कैंसर मौतों के पीछे तम्बाकू सबसे बड़ा कारण है।
“धूम्रपान हो या गुटखा यह मुंह, गला, फेफड़े, पेट और अग्न्याशय तक कई कैंसरों का खतरा कई गुना बढ़ा देता है।”

2. संतुलित भोजन और जीवनशैली

फल, सब्जियाँ, दालें, नियमित व्यायाम और नियंत्रित चीनी-तेल-नमक ये आपकी ढाल हैं। मोटापा कई प्रमुख कैंसरों का खतरा बढ़ाता है।

3. शराब से परहेज

डॉ. पांडे बताते हैं कि किसी भी मात्रा में शराब स्तन, लीवर और मौखिक कैंसर का जोखिम बढ़ाती है।

4. संक्रमण से सुरक्षा

HPV → गर्भाशय ग्रीवा कैंसर (टीका उपलब्ध)

HBV → लिवर कैंसर (टीका उपलब्ध)

5. प्रदूषण से सावधानी

बढ़ते प्रदूषण ने फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ाया है। मास्क व जांच जरूरी है।

कैंसर की शुरुआती पहचान कैसे हो?

डॉ. पांडे कहते हैं “कई कैंसर बिना लक्षण के शुरू होते हैं। स्क्रीनिंग ही जीवन बचाती है।”

महत्वपूर्ण स्क्रीनिंग टेस्ट:

मुँह की जांच- साल में 1 बार (विशेषकर तम्बाकू उपयोगकर्ताओं में)

मैमोग्राफी – 40 वर्ष के बाद

पैप स्मीयर / HPV टेस्ट- 30 वर्ष के बाद

कोलन कैंसर स्क्रीनिंग- 45 वर्ष के बाद

लो-डोज़ सिटी- भारी धूम्रपान करने वालों में

कैंसर का आधुनिक उपचार: पहले से अधिक सुरक्षित और प्रभावी

1. कीमोथेरेपी

आज की कीमो दवाएँ अधिक सटीक हैं और उनके दुष्प्रभाव काफी नियंत्रित किए जा सकते हैं।

2. इम्यूनोथेरेपी

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने लायक बनाती है।
“कई मरीजों में यह वर्षों की जिंदगी जोड़ चुकी है।”

3. टार्गेटेड थेरेपी

कैंसर की जीनिक गड़बड़ी पर केंद्रित उपचार—अधिक प्रभावी और व्यक्तिगत।

4. सर्जरी और रेडिएशन

प्रारंभिक स्टेज में इनका संयोजन अत्यंत सफल होता है।

5. डे-केयर इलाज

अधिकांश कीमो अब डे-केयर में होती है—कम खर्च, कम समय, ज़्यादा सुविधा।

कैंसर से जुड़े मिथक और उनके सच

मिथक 1: “कैंसर का मतलब मौत।”
सच: शुरुआती पहचान पर कई कैंसर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।

मिथक 2: “कीमो बहुत दर्दनाक होती है।”
सच: आज की कीमो सुरक्षित है; अधिकांश दुष्प्रभाव नियंत्रित होते हैं।

मिथक 3: “कैंसर छूने से फैलता है।”
सच: बिल्कुल नहीं। यह संक्रामक बीमारी नहीं है।

मिथक 4: “बायोप्सी कराने से कैंसर फैलता है।”
सच: बायोप्सी जरूरी है—इसी से इलाज तय होता है।

मिथक 5: “आयुर्वेद/जड़ी-बूटी से कैंसर ठीक हो जाएगा।”
सच: देरी जानलेवा हो सकती है। आधुनिक चिकित्सा ही उपचार का मुख्य आधार है।

प्रयागराज में अब दिल्ली-स्तरीय कैंसर केयर

डॉ. पांडे बताते हैं कि “अब मरीज़ों को बड़े शहर जाने की जरूरत नहीं। आधुनिक, पारदर्शी और किफायती कैंसर इलाज प्रयागराज जैसे शहरों में भी उपलब्ध है।”

विशेषज्ञ के बारे में

डॉ. प्रफुल पांडे
MBBS, MD (Medicine)
DM – Medical Oncology (AIIMS, New Delhi), Medical Oncologist, Medanta Medi City Noida


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