SIR को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का सख्त निर्देश, तत्काल प्रभाव से बढ़ाएं BLOs की संख्या
टेन न्यूज़ नेटवर्क
New Delhi News (04 December 2025): चुनावी कार्यों में लगे बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) पर बढ़ते कार्यभार को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया जाए ताकि मौजूदा BLOs के कार्य घंटे कम किए जा सकें। मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग (ECI) की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया में BLOs की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन अत्यधिक कार्यभार किसी भी हालत में उचित नहीं माना जा सकता। अदालत ने राज्यों से कहा कि वे चुनाव आयोग के साथ तालमेल बनाते हुए मानव संसाधन की संख्या में तुरंत वृद्धि करें।
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति विशेष कारणों से चुनावी ड्यूटी से छूट मांगता है, तो उसकी याचिका को संवेदनशीलता और वस्तुनिष्ठता के साथ विचार किया जाए। CJI ने कहा कि “जहाँ किसी व्यक्ति के पास वैध कारण हैं, वहाँ सक्षम प्राधिकारी और राज्य सरकार को मामले-दर-मामला समीक्षा कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उस व्यक्ति की ड्यूटी किसी अन्य व्यक्ति से प्रतिस्थापित की जाए।” अदालत ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया में मजबूरी या अत्यधिक दबाव के कारण ड्यूटी करना किसी भी कर्मचारी के अधिकारों का उल्लंघन माना जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में यह भी कहा कि राज्य सरकारें चुनाव आयोग की आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं। अदालत ने साफ किया कि यदि SIR प्रक्रिया को सुचारू और प्रभावी ढंग से चलाना है, तो राज्यों को प्रशासनिक सहयोग और मानव संसाधन दोनों स्तर पर पूरी तरह ईसीआई का साथ देना होगा। CJI सूर्यकांत ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता तभी सुनिश्चित हो सकती है जब BLOs जैसे फील्ड कर्मचारियों को उचित कार्य-परिस्थितियों में काम करने का अवसर मिले।
यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई के दौरान आया जिसे विजय के राजनीतिक दल तमिलगा वेत्रि कड़गम (TVK) ने दाखिल किया था। TVK ने चुनाव आयोग द्वाराRepresentation of the People Act की धारा 32 के तहत BLOs पर आपराधिक कार्रवाई शुरू करने के खिलाफ आवाज उठाई थी। उनका तर्क था कि कई BLOs लक्ष्य पूरा करने के दबाव या व्यक्तिगत कठिनाइयों के कारण अपनी जिम्मेदारियाँ नहीं निभा पाते, और ऐसे में उन पर कार्रवाई करना अनुचित है। कोर्ट ने इस चिंता को स्वीकार करते हुए कहा कि कर्मचारी के हालात और कार्यभार को बिना समझे सख्ती करना उचित नहीं है।
इस पूरे मामले पर विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप भविष्य में BLOs की कार्य-स्थितियों को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। चुनावी कार्यों में लगी यह सबसे निचली इकाई अक्सर मतदाता सूचियों के अद्यतन, घर-घर सत्यापन और अन्य चुनावी प्रक्रियाओं का महत्वपूर्ण बोझ5 उठाती है। अदालत के निर्देश से उम्मीद जताई जा रही है कि राज्यों द्वारा अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती से BLOs के कार्यभार में कमी आएगी और चुनावी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और मानवीय दृष्टिकोण से संचालित हो सकेगी।
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