EPCH ने EU के एक वर्ष के ईयूडीआर स्थगन का स्वागत किया, भारतीय लकड़ी हस्तशिल्प निर्यातकों को मिली बड़ी राहत
नई दिल्ली – 03 दिसंबर, 2025 — हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) ने यूरोपीय संसद द्वारा ईयू डिफॉरेस्टेशन रेगुलेशन (ईयूडीआर) को एक वर्ष आगे बढ़ाने तथा लक्ष्यित सरलीकरण उपायों को मंजूरी देने का स्वागत किया । इस निर्णय से भारतीय लकड़ी आधारित हस्तशिल्प निर्यातकों को महत्वपूर्ण राहत मिलेगी । संसद के अनुमोदन के अनुसार, बड़े ऑपरेटर/ट्रेडर पर ईयूडीआर का अनुपालन 30 दिसंबर 2026 से लागू होगा, जबकि सूक्ष्म एवं लघु उद्यम 30 जून 2027 से अनुपालन करेंगे।
निर्णय का स्वागत करते हुए डॉ. नीरज खन्ना, अध्यक्ष – ईपीसीएच ने कहा, “आईटी तत्परता और सरलीकरण से जुड़ा ईयूडीआर स्थगन एक ठोस कदम है । अब हमारी प्राथमिकता इस समय को तैयारी में बदलने की है जिसमे स्पष्ट टेम्पलेट, उदाहरण आधारित मार्गदर्शन और टेस्ट रन करना है, जिससे लकड़ी आधारित हस्तशिल्प निर्यातक आत्मविश्वास के साथ फाइल कर सकें । यह विस्तार बड़ी संख्या में उन निर्यातकों और कारीगरों को सीधे लाभ पहुंचाएगा, जिनमें से कई सिर्फ़ लकड़ी से बने हैंडीक्राफ्ट जैसे फ़र्नीचर, नक्काशी और सजावटी सामान एक्सपोर्ट करते हैं और जो ईयूडीआर के दायरे में आते थे । डॉ. खन्ना ने आगे कहा संतुलित, समान रूप से लागू दिशानिर्देश और स्थिर ईयू पोर्टल के साथ भारत के हस्तशिल्प निर्यातक ईयूडीआर के लक्ष्यों को पूरा करेंगे और खरीदारों को निरंतरता तथा भरोसेमंद आपूर्ति का अनुभव मिलेगा ।”
ईपीसीएच के महानिदेशक की भूमिका में मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा, “यह अतिरिक्त समय का उपयोग व्यावहारिक और स्पष्ट अनुपालन पथ बनाने में होना चाहिए । सूचना के अनुसार सरलीकृत ड्यू–डिलिजेंस में पहली बार बाज़ार में उत्पाद रखने वाले इकाई पर प्राथमिक जिम्मेदारी होगी, जबकि सूक्ष्म/लघु प्राथमिक ऑपरेटर वन–टाइम घोषणा दे सकेंगे । इससे डाउनस्ट्रीम ट्रेडरों पर कागजी बोझ घटेगा और सस्टेनेबल सोर्सिंग प्रमाणन पर फोकस बढ़ेगा ।” डॉ. कुमार ने आगे कहा, “ईयूडीआर के टलने के साथ अब हमारा ध्यान ट्रेसएबिलिटी टूलकिट, दस्तावेज़ी चेकलिस्ट, जियोलोकेशन और चेन ऑफ कस्टडी पर प्रशिक्षण को प्राथमिकता देने पर होना चाहिए, ताकि छोटी इकाइयों के लिए यह प्रक्रिया सरल और स्वीकार्य बन सके ।”
श्री आर. के. वर्मा, कार्यकारी निदेशक – ईपीसीएच ने जानकारी दी कि व्यापार साझेदार देशों की चिंताओं को देखते हुए यूरोपीय संघ ने इस एंटी–डिफॉरेस्टेशन कानून को एक वर्ष टाल दिया है। भारतीय लकड़ी आधारित हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए यह कदम पर्यावरणीय लक्ष्यों और जीविकोपार्जन सुरक्षा के बीच संतुलन साधने की दिशा में सकारात्मक है। उन्होंने आगे कहा, “ईपीसीएच संबंधित मंत्रालयों और विभागों के साथ मिलकर व्यावहारिक समाधान तैयार कर रहा है, जिससे निर्यातकों को जियोलोकेशन ट्रेसएबिलिटी जैसी चुनौतियों से निपटने के उपकरण मिल सकें। हम वृक्ष – टिम्बर लीगेलिटी असेसमेंट एवं वेरिफिकेशन स्कीम के दायरे को ईयूडीआर अनुपालन के अनुरूप विस्तारित कर रहे हैं और निर्यातकों व ईयू साझेदारों के साथ मिलकर अपग्रेडेड सिस्टम पर प्रैक्टिस सबमिशन/रिहर्सल भी करवाएँगे।”
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