मौलाना अरशद मदनी के बयान पर मचा बवाल!, कांग्रेस नेता ने क्या कह दिया?

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (23 November 2025): जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के हालिया बयान ने राजनीतिक हलकों में नई बहस को जन्म दे दिया है। उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार “एक खास धर्म के खिलाफ सुनियोजित अभियान” चला रही है और उस धर्म से जुड़े शिक्षित तथा बुद्धिजीवियों को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है। दीक्षित का कहना है कि इस स्थिति ने समाज के एक बड़े वर्ग में असुरक्षा और अन्याय का भाव पैदा कर दिया है।

“मुसलमानों को हो रहा है भेदभाव का एहसास”

संदीप दीक्षित ने कहा कि कई ऐसे सक्षम और योग्य लोग, जिनका नाम या पहचान किसी धर्म विशेष से जुड़ी होती है, स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनके अनुसार यह केवल व्यक्तिगत अनुभव नहीं है, बल्कि एक व्यापक सामाजिक भावना बनती जा रही है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारतीय जनता पार्टी के भीतर कोई मुस्लिम सांसद न होना इस असंतुलन की ओर संकेत करता है, जिससे समुदाय में यह धारणा और मजबूत होती है कि उन्हें बराबरी का राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा।

“जैसे कभी दलितों के साथ हुआ, वैसी ही भावना अब फिर बढ़ रही”

दीक्षित ने अपने बयान में ऐतिहासिक संदर्भ भी जोड़े। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा था जब अनुसूचित जातियों और दलित समुदाय के लोगों के साथ सीधा भेदभाव होता था और उन्हें समाज में बराबरी का दर्जा नहीं मिलता था। अब यही असमानता और भेदभाव की भावना मुस्लिम समुदाय के भीतर पनपने लगी है। उनके अनुसार, यह स्थिति समाज को विभाजित करती है और लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करती है।

अल-फलाह डॉक्टरों के मामले पर NIA जांच की मांग

संदीप दीक्षित ने अपने बयान में अल-फलाह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से जुड़े मामले का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि यदि किसी प्रकार की गड़बड़ी सामने आती है तो कानून अपना काम करे, लेकिन किसी निर्दोष व्यक्ति को जेल में न डाला जाए। उन्होंने चेताया कि बिना ठोस साक्ष्यों के कार्रवाई करना न्याय प्रणाली के लिए भी खतरा है।

“मदनी की बातों में दम, लेकिन हर घटना का संदर्भ भी जरूरी”

अंत में, कांग्रेस नेता ने कहा कि मौलाना मदनी की बातों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि कई लोग इसी तरह की भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि किसी घटना को अकेले आधार बनाकर व्यापक निष्कर्ष निकालना ठीक नहीं है और हर मुद्दे के संदर्भ को समझना जरूरी है। दीक्षित के अनुसार, वर्तमान माहौल में जरूरी है कि सरकार और समाज मिलकर यह सुनिश्चित करें कि किसी भी समुदाय में अन्याय या भेदभाव की भावना पैदा न हो।

क्या है अरशद मदनी का बयान

आपको बता दें कि दिल्ली धमाके पर एक शब्द न बोलने वाले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने आज सरकार पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “दुनिया समझती है कि मुसलमान बेबस और खत्म हो गए, लेकिन ऐसा नहीं है। आज ममदानी न्यूयॉर्क का मेयर बन सकता है, खान लंदन का मेयर बन सकता है, लेकिन भारत में कोई मुस्लिम वाइस-चांसलर भी नहीं बन सकता। और अगर बन भी जाए, तो जेल भेज दिया जाता है—जैसे आज़म खान। अल-फलाह में जो हो रहा है, वो देखिए। सरकार मुसलमानों को सिर उठाने ही नहीं दे रही।”


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