4 महीने की चुप्पी के बाद क्यों बोले पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, “कर्तव्य नहीं छोड़ सकता”
टेन न्यूज़ नेटवर्क
National News (22 November 2025): पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफे के चार महीने बाद पहली बार किसी सार्वजनिक मंच पर अपनी चुप्पी तोड़ी। वे भोपाल में संघ विचारक मनमोहन वैद्य की पुस्तक ‘हम और यह विश्व’ के विमोचन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे। उनके मंच पर आते ही पूरा सभागार उत्सुकता से भर गया, क्योंकि बीते चार महीनों में धनखड़ सार्वजनिक रूप से बिल्कुल नहीं दिखे थे। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत ही इस तरह की कि “चार महीने बाद…” जिसके साथ ही सभागार में ठहाके और तालियों की आवाज गूंज उठी।
धनखड़ ने 38 मिनट के संबोधन में पुस्तक के विषय पर बात तो की, लेकिन उनके पूरे भाषण में चार महीने पहले के घटनाक्रम की झलक बार-बार दिखाई दी। कई मौकों पर उन्होंने बेहद संक्षिप्त, लेकिन अर्थपूर्ण वाक्यों में इशारों-इशारों में बहुत कुछ कह दिया। फ्लाइट की देरी का संदेश मिलने पर उनकी मुस्कुराती प्रतिक्रिया — “मेरे रिसेंट पास्ट की यही गवाही है, लेकिन मैं कर्तव्य के लिए फ्लाइट नहीं छोड़ सकता” — ने पूरे माहौल को और रोचक बना दिया।
संघ विचारक मनमोहन वैद्य की पुस्तक का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि देश में संघ को लेकर लगातार “नैरेटिव” तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि झूठ और भ्रम ऐसे फैलाए जा रहे हैं कि लोग वास्तविकता से भटक जाते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने 2018 में नागपुर संघ मुख्यालय गए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का भी उदाहरण दिया। धनखड़ ने कहा कि कैसे प्रणब मुखर्जी की एक पंक्ति ने सभी आलोचनाओं को शांत कर दिया था। उन्होंने यह भी दोहराया— “मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा हूं।”
अपने भाषण में उन्होंने यह भी घोषणा की कि अब वे संबोधन अंग्रेजी भाषा में ही करेंगे। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि “जो लोग समझना नहीं चाहते, जो देश की छवि खराब करना चाहते हैं जब तक मैं अंग्रेजी में नहीं बोलूंगा, वे मेरे शब्दों को अपने अर्थ में मोड़ते रहेंगे।” यह बयान भी उनके हालिया घटनाक्रमों से जुड़ा एक तीखा संकेत माना गया।
धनखड़ ने राष्ट्र जागरण, इतिहास और वर्तमान पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि “जो सोया हुआ है उसे जगाया जा सकता है, लेकिन जो जागकर भी सो जाए, उसका कुछ नहीं किया जा सकता।” सीएए को लेकर उन्होंने कहा कि उसके विरोध में ‘अनावश्यक हाहाकार’ मचाया गया। अंत में उन्होंने एक और दिलचस्प पंक्ति कही “समय की वजह से मेरा गला खुल नहीं पाया है।” कार्यक्रम के बाद जब मीडिया ने सवाल पूछने की कोशिश की, तो धनखड़ मुस्कुराते हुए बिना जवाब दिए निकल गए।
यह कार्यक्रम न केवल पुस्तक विमोचन की वजह से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसलिए भी क्योंकि महीनों बाद धनखड़ ने मंच से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उनके भाषण में सीधे आरोपों या स्पष्ट बयान की जगह संकेत, व्यंग्य और सधे हुए शब्दों में कही गई बातें थीं, जिनसे कई राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं। कार्यक्रम में मौजूद लोगों का कहना था कि धनखड़ ने कम कहा, लेकिन बहुत कुछ कह दिया और यही चार महीने बाद उनकी सबसे बड़ी ‘चुप्पी-भंग’ थी।।
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