National News (17 November 2025): ढाका की अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) ने सोमवार को बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के विरुद्ध अपराध का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई। यह फैसला पिछले वर्ष छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन पर कथित तौर पर घातक कार्रवाई का आदेश देने के मामले से जुड़ा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, महीनों तक चले इस मुकदमे में अदालत ने माना कि हसीना ने शांतिपूर्ण और निहत्थे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक बल प्रयोग की अनुमति दी थी।
छात्रों के विद्रोह पर कार्रवाई को लेकर अभियोजन का दावा साबित
अदालत के अनुसार, अभियोजन पक्ष ने यह साबित कर दिया कि 15 जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच हुए छात्रों के विरोध प्रदर्शनों पर हिंसक दमन के पीछे हसीना की सीधी भूमिका थी। फैसले में यह भी उल्लेख किया गया कि हसीना ने भड़काऊ बयान दिए और ढाका व आसपास के क्षेत्रों में कई छात्रों की हत्या वाली कार्रवाई को अधिकृत किया। 78 वर्षीय हसीना को पहले अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया था क्योंकि वह 2024 में देश छोड़कर भारत भाग गई थीं।
अन्य आरोपियों पर भी कार्रवाई, अदालत परिसर में सुरक्षा कड़ी
इस मामले में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून भी आरोपी थे। फैसले की घोषणा से पहले अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। पुलिस और रैपिड एक्शन बटालियन की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की गईं, क्योंकि फैसले को लेकर देश में तनाव की आशंका जताई गई थी। अदालत परिसर के आसपास बैरिकेड लगाए गए और लोगों की आवाजाही पर भी कड़ी निगरानी रखी गई।
फैसले से पहले तनावपूर्ण माहौल, देशव्यापी बंद का असर
अवामी लीग ने फैसले से पहले ही देशभर में दो दिन के बंद का ऐलान कर दिया था, जिससे ढाका सहित कई शहरों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। राजधानी में यातायात सामान्य दिनों की तुलना में काफी कम रहा और कुछ इलाकों में पटाखों की आवाजें सुनाई देने की भी रिपोर्टें आईं। फैसले के बाद सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं और सरकार ने किसी भी अवांछित स्थिति से निपटने के लिए तैयारी कर ली है।
जुलाई 2024 के विद्रोह से गिरी थी सरकार, UN रिपोर्ट में 1,400 मौतें
जुलाई 2024 में छात्रों के नेतृत्व में हुए व्यापक विद्रोह ने हसीना सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था। 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना भारत भाग गईं और उनके बाद मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रदर्शनों के दौरान करीब 1,400 लोग मारे गए थे। विडंबना यह है कि हसीना ने ही 1971 के युद्ध अपराधों की जांच के लिए इसी अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण की स्थापना की थी, जिसने अब उनके खिलाफ फैसला सुनाया है।।
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