Noida Authority ने गेल की मांग ठुकराई: सेक्टर 16ए का 6.5 करोड़ चक्रवृद्धि ब्याज देना होगा

टेन न्यूज़ नेटवर्क

NOIDA News (15/11/2025): नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) बोर्ड ने गेल (इंडिया) लिमिटेड को बड़ा झटका देते हुए उसकी उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें कंपनी ने सेक्टर 16ए स्थित संस्थागत भूखंड पर बकाया लीज़ रेंट के ब्याज की गणना साधारण ब्याज (Simple Interest) पर करने की मांग की थी। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि ब्याज की गणना पूरी तरह से लीज़ डीड की शर्तों पर आधारित है और इसे पिछली तिथि से बदलना संभव नहीं है।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

यह मामला सेक्टर 16ए में स्थित 17,466 वर्गमीटर के संस्थागत भूखंड से जुड़ा है, जिसे गेल को 3 जुलाई 1986 को मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट स्थापित करने के लिए आवंटित किया गया था। लीज़ डीड 1 जनवरी 1992 को निष्पादित हुई और 2 अप्रैल 1992 को कंपनी को साइट का कब्जा मिला।

हालांकि, कंपनी ने आवंटन की सभी मूल किस्तों का भुगतान कर दिया था, विवाद तब पैदा हुआ जब कंपनी ने ‘इन्हांस्ड लीज़ रेंट’ का भुगतान नहीं किया — वह राशि जिसे प्राधिकरण की नीति के अनुसार हर 10 साल में 50% बढ़ाने का प्रावधान है।

88 लाख की मूल राशि, 6.5 करोड़ का ब्याज

नोएडा प्राधिकरण के अनुसार वर्ष 1992-93 से 2025-26 तक बढ़ा हुआ लीज़ रेंट लगभग 88 लाख रुपये है, लेकिन चक्रवृद्धि ब्याज की नीति के चलते यह रकम करीब 6.5 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। गेल ने 9 जून 2025 को प्राधिकरण को पत्र भेजकर ब्याज की गणना साधारण ब्याज पर पुनर्गणना की मांग की थी। कंपनी ने 2015 में सेक्टर 1 के दो प्लॉटों (B-35 और B-36) पर साधारण ब्याज लागू करने वाले बोर्ड फैसले का उदाहरण दिया।

बोर्ड बैठक के दौरान रखे गए तथ्य

3 अक्टूबर को हुई बोर्ड बैठक में प्राधिकरण अधिकारियों ने कहा कि लीज़ रेंट मूल प्रीमियम के 2.5% पर आधारित है और हर 10 साल में संशोधन हेतु सप्लीमेंट्री डीड जरूरी है। हालांकि, सेक्टर 16ए के इस प्लॉट के लिए सप्लीमेंट्री डीड कभी नहीं हुई, और ब्याज प्राधिकरण की नीति के अनुसार चक्रवृद्धि रूप में बढ़ता रहा।

2015 के फैसले को नहीं माना मानक

प्राधिकरण ने साफ किया कि 2015 में साधारण ब्याज का लाभ विशेष परिस्थितियों में दिया गया था और उसे सभी मामलों में लागू नहीं किया जा सकता। निर्णय कानून, लीज़ डीड और वित्तीय नियमों के आधार पर होना चाहिए, जिसके अनुसार वर्तमान ब्याज गणना उचित और वैध है।

अंततः बोर्ड ने गेल की याचिका को खारिज करते हुए पुराने बकाए में बदलाव से इंकार कर दिया। इसका अर्थ है कि गेल (इंडिया) लिमिटेड को करीब 6.5 करोड़ रुपये का चक्रवृद्धि ब्याज देना होगा। इस फैसले को संस्थागत भूखंडों और लीज़ रेंट विवादों के संदर्भ में नीति-निर्माण के लिए अहम माना जा रहा है।


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