‘फांसीघर’ विवाद: दिल्ली विधानसभा ने केजरीवाल सहित इन नेताओं को किया तलब

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (07 November 2025): दिल्ली विधानसभा में ‘फांसीघर’ विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व स्पीकर राम निवास गोयल को 13 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। समिति ने यह समन उस विवादित मामले में जारी किया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल के दौरान विधानसभा परिसर में ब्रिटिश कालीन “फांसी घर” को लेकर भ्रामक दावे किए गए थे।

विवाद की शुरुआत और विधानसभा में हुई कार्रवाई

यह विवाद अगस्त में मॉनसून सत्र के दौरान तब शुरू हुआ जब विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सदन में दावा किया कि जिस कमरे को “फांसी घर” बताया गया था, वह वास्तव में एक “टिफिन रूम” था। गुप्ता ने विधानसभा परिसर का 1912 का नक्शा सदन में पेश करते हुए कहा था कि किसी भी दस्तावेज में उस स्थान को फांसी देने वाले कमरे के रूप में दर्ज नहीं किया गया है। उन्होंने कहा था कि 2022 में जिस जगह का उद्घाटन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने किया, वह ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत था।

जांच समिति को सौंपा गया मामला

विजेंद्र गुप्ता ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए इसे नौ सदस्यीय विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया था, ताकि पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपी जा सके। समिति को यह भी जांचने के निर्देश दिए गए थे कि क्या उस उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान किसी तरह का भ्रामक या गलत प्रस्तुतीकरण हुआ था, जिससे सदन की मर्यादा या नियमों का उल्लंघन हुआ हो। अब इसी जांच के सिलसिले में समिति ने तीनों पूर्व पदाधिकारियों को तलब किया है ताकि वे अपने पक्ष में सफाई दे सकें।

आम आदमी पार्टी की पहली प्रतिक्रिया

इस पूरे घटनाक्रम पर आम आदमी पार्टी की ओर से शुरू में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन बाद में दिल्ली AAP अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने इस समन को “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया। उन्होंने कहा कि “देश के किसी भी राज्य में विधानसभा समिति ने कभी किसी पूर्व मुख्यमंत्री या मंत्री को तलब नहीं किया है। अगर बीजेपी इस परंपरा की शुरुआत कर रही है, तो उसे तैयार रहना चाहिए कि अन्य राज्यों में उसकी सरकारें जाने के बाद उनके मुख्यमंत्री और मंत्री भी बुलाए जाएंगे।”

सौरभ भारद्वाज ने भाजपा पर साधा तीखा निशाना

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ‘फांसीघर’ के उद्घाटन में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को बुलाया गया था, जो एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया थी। “अगर किसी हाईवे पर बाद में भ्रष्टाचार पाया जाए, तो क्या प्रधानमंत्री को भ्रष्ट कहा जाएगा?” उन्होंने पूछा। भारद्वाज ने कहा कि बीजेपी इस मुद्दे को तूल देकर जनता का ध्यान असली समस्याओं से भटका रही है। “दिल्ली की जनता ने बीजेपी को वादे निभाने के लिए चुना था — प्रदूषण खत्म करने, यमुना को साफ करने, 2500 रुपये सहायता देने और सस्ते गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने के लिए। मगर उन्होंने इनमें से कुछ नहीं किया,” उन्होंने जोड़ा।

राजनीतिक तनाव बढ़ने के आसार

विधानसभा की समिति द्वारा केजरीवाल, सिसोदिया और गोयल को तलब किए जाने से दिल्ली की राजनीति में नया तनाव पैदा हो गया है। जहां बीजेपी इसे जवाबदेही की प्रक्रिया बता रही है, वहीं आम आदमी पार्टी इसे विपक्ष द्वारा रचा गया राजनीतिक षड्यंत्र मान रही है। 13 नवंबर को होने वाली इस सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि यह तय करेगा कि ‘फांसीघर’ विवाद मात्र एक प्रतीकात्मक राजनीतिक मुद्दा था या वास्तव में विधानसभा की मर्यादा से जुड़ा गंभीर मामला।।


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