New Delhi News (06 November 2025): राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है और इसका असर अब सीधे लोगों के स्वास्थ्य पर दिखाई देने लगा है। अस्पतालों की आउटडोर पेशेंट डिपार्टमेंट (OPD) में मरीजों की संख्या में 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। डॉक्टरों के अनुसार, दमा, ब्रॉन्काइटिस, COPD और फेफड़े की पुरानी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों की स्थिति तेजी से बिगड़ रही है। PGIMER के प्रोफेसर डॉ. पुलिन गुप्ता ने बताया कि प्रदूषण के चलते सांस की बीमारियों के मरीजों की भीड़ अस्पतालों में लगातार बढ़ रही है।
किसे है सबसे ज्यादा खतरा
डॉ. गुप्ता के अनुसार, जिन लोगों को पहले से ब्रॉन्कियल अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, हृदय रोग या फेफड़ों से जुड़ी पुरानी बीमारियां हैं, उन्हें इस मौसम में ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि ईएनटी विभाग में साइनस, नाक बहना, खून आना और गले में जलन जैसी शिकायतें बहुत बढ़ गई हैं। वहीं, आंखों में जलन, लालिमा और सूखापन के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि “पुराने धूम्रपान करने वाले, बुजुर्ग और जिन लोगों को पहले टीबी हुई है, उनके लिए यह प्रदूषण बेहद खतरनाक हो सकता है।”
‘दमा और COPD के मरीजों के लिए खतरनाक दौर’
सर गंगा राम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट और वाइस चेयरमैन डॉ. बॉबी भालोत्रा ने कहा कि इस साल की सर्दी के शुरुआत में दिल्ली की हवा सबसे खराब स्थिति में पहुंच गई है। उन्होंने बताया, “गले में खराश, राइनाइटिस, आंखों में खुजली और सीने में भारीपन जैसे लक्षणों के साथ मरीजों की संख्या बढ़ रही है। दमा और COPD के मरीजों की हालत और भी बिगड़ रही है।” डॉक्टरों के मुताबिक, ILD या फेफड़ों की पुरानी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में सांस लेने की क्षमता पर गहरा असर पड़ रहा है।
AQI ने बढ़ाई चिंता, कई इलाके ‘बहुत खराब’ श्रेणी में
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, गुरुवार सुबह 8 बजे दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 271 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। द्वारका सेक्टर-8 में AQI 296, ITO में 295, जबकि नरेला और बवाना जैसे इलाकों में यह क्रमशः 302 और 337 तक पहुंच गया — जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ठंड बढ़ने और हवा की गति धीमी होने से आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है।
डॉक्टरों की अपील — ‘सुबह व्यायाम या मेहनत वाले काम से बचें’
डॉ. भालोत्रा ने नागरिकों से अपील की कि प्रदूषण के इन दिनों में सुबह बाहर टहलना, दौड़ना या कोई भी मेहनत वाला शारीरिक काम करने से बचें। उन्होंने कहा कि “बुजुर्ग और बच्चों को विशेष सावधानी रखनी चाहिए, मॉर्निंग वॉक सूरज निकलने के बाद ही करें और मास्क का उपयोग अनिवार्य बनाएं।” साथ ही उन्होंने सरकार से अपील की कि कार्यस्थलों पर ‘हाइब्रिड वर्क’ विकल्प लागू किया जाए, ताकि ट्रैफिक और वाहन प्रदूषण को कुछ हद तक कम किया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति पर जल्द नियंत्रण नहीं पाया गया, तो दिल्ली में सांस लेना और भी कठिन हो जाएगा।।
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