“सुरक्षित” या “खतरनाक”? FSSAI की रिपोर्ट में बोतलबंद पानी ‘हाई-रिस्क’ कैटेगरी में शामिल

टेन न्यूज नेटवर्क

National News (04/11/2025): भारत में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर की सच्चाई पर हुए हालिया सरकारी अध्ययन ने चौंकाने वाले परिणाम उजागर किए हैं। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने नवंबर 2024 में बोतलबंद पानी को “हाई-रिस्क फूड कैटेगरी” में शामिल किया है। यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि देश के कई हिस्सों में जांच के दौरान कई ब्रांड्स के सैंपल निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरे। रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ ब्रांड्स के बोतलबंद पानी में माइक्रोबायोलॉजिकल कंटैमिनेशन यानी सूक्ष्मजीवों की मात्रा अनुमेय सीमा से अधिक पाई गई, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

पहले बोतलबंद पानी पर BIS (Bureau of Indian Standards) का प्रमाणपत्र अनिवार्य था, लेकिन अक्टूबर 2024 में इसे वैकल्पिक कर दिया गया। इसके बाद FSSAI ने निगरानी और जांच को सख्त बनाते हुए देशभर की उत्पादन इकाइयों पर वार्षिक थर्ड-पार्टी ऑडिट और 100% निरीक्षण अनिवार्य कर दिया है। जांच में यह भी सामने आया कि देशभर में हजारों छोटे वॉटर प्लांट बिना उचित लाइसेंस और गुणवत्ता प्रमाणन के काम कर रहे हैं।

BIS ने जुलाई 2025 में नया मानक IS 14543:2024 जारी किया है, जिसके तहत पैकेज्ड वॉटर में

TDS (Total Dissolved Solids): 75–500 mg/L

कैल्शियम: 10–75 mg/L

मैग्नीशियम: 5–30 mg/L
की सीमा निर्धारित की गई है। साथ ही अब हर निर्माता को NABL-प्रमाणित लैब से अपने पानी के सैंपल की जांच करवाना अनिवार्य होगा, ताकि उपभोक्ताओं तक शुद्ध और सुरक्षित पानी पहुँच सके।

हालिया सरकारी जांचों में कई चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। तमिलनाडु और उत्तराखंड में फर्जी ISI मार्क लगाकर नकली पानी बेचने वाले कारखाने पकड़े गए, जबकि हरिद्वार में खराब गुणवत्ता के कारण 120 से अधिक बोतलें सीज की गईं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि 20 लीटर के रीफिल्ड कैन सबसे अधिक खतरनाक साबित हो रहे हैं, क्योंकि इन्हें अक्सर बिना सैनिटाइजेशन के दोबारा इस्तेमाल किया जाता है।

पानी विशेषज्ञों का कहना है कि उपभोक्ताओं को पानी खरीदते समय FSSAI लाइसेंस नंबर, उत्पादन तिथि, और सील की स्थिति अवश्य जांचनी चाहिए। यदि पानी का स्वाद, रंग या गंध असामान्य लगे तो उसका सेवन न करें। नकली ब्रांड्स और अवैध प्लांट्स से स्वास्थ्य संबंधी खतरे तेजी से बढ़ रहे हैं।

भारत का पैकेज्ड वॉटर उद्योग अब 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है, जिसमें हजारों छोटे और बड़े ब्रांड सक्रिय हैं। लेकिन इतनी बड़ी इंडस्ट्री के बावजूद गुणवत्ता नियंत्रण और निगरानी तंत्र अब भी कमजोर है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सरकार और स्थानीय निकाय कड़े कदम नहीं उठाते, तब तक “सुरक्षित पानी” केवल एक दावा बनकर रह जाएगा।

यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि बोतलबंद पानी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। FSSAI द्वारा इसे “हाई-रिस्क” श्रेणी में शामिल किया जाना उपभोक्ता सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसके बाद भी कड़े प्रवर्तन, नियमित जांच, और पारदर्शी रिपोर्टिंग की आवश्यकता है। उपभोक्ताओं को भी जागरूक रहना चाहिए और केवल प्रमाणित, सीलबंद और भरोसेमंद ब्रांड्स का ही चयन करना चाहिए, ताकि स्वास्थ्य को खतरे से बचाया जा सके।

डिस्क्लेमर: यह लेख सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध और विश्वसनीय मीडिया स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। यह केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। पाठक कृपया स्वयं जांच कर ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचे।


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