National News (30/10/2025): भारत आज डिजिटल और आर्थिक प्रगति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इस विकास के बीच नागरिक आचरण यानी सिविक सेंस की स्थिति निरंतर बिगड़ती जा रही है। देश के विभिन्न शहरों में लोगों का सार्वजनिक व्यवहार चिंता का विषय बन चुका है। सड़क पर कचरा फेंकना, सार्वजनिक स्थलों पर थूकना, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी करना और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना अब आम बात हो गई है।
दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, पटना और नोएडा जैसे महानगरों में साफ-सफाई और अनुशासन बनाए रखने के लिए सरकार और स्थानीय निकायों द्वारा लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं, परंतु नागरिकों में बुनियादी जिम्मेदारी की भावना का अभाव स्पष्ट दिखाई देता है। सड़कों पर बेतरतीब वाहन पार्किंग, खुले में फेंका गया कचरा, दीवारों पर पान की पीक और सार्वजनिक पार्कों की टूट-फूट इस बात का प्रमाण हैं कि देश में सिविक सेंस का स्तर गिरता जा रहा है। यह केवल स्वच्छता की समस्या नहीं बल्कि सामाजिक सोच और जिम्मेदारी की कमी का द्योतक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नागरिक आचरण की कमी केवल व्यवस्था की नाकामी नहीं, बल्कि यह मानसिकता से जुड़ी एक गहरी समस्या है। भारत के शिक्षा तंत्र में सिविक एजुकेशन को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता। बच्चों को बचपन से नियमों, जिम्मेदारियों और सामाजिक अनुशासन की शिक्षा नहीं दी जाती, जिसके परिणामस्वरूप वे बड़े होकर भी सार्वजनिक आचरण का पालन नहीं करते। परिवार और समाज में भी ऐसे उदाहरण कम देखने को मिलते हैं जो नागरिक कर्तव्यों के प्रति प्रेरित करें।
सोशल मीडिया पर आए दिन ऐसे वीडियो वायरल होते हैं, जिनमें लोग खुलेआम सड़कों पर कचरा फैलाते या सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते नजर आते हैं। यह न केवल अनुशासनहीनता का प्रमाण है बल्कि यह दर्शाता है कि लोगों में सामाजिक जिम्मेदारी और शर्म की भावना कितनी कमजोर हो चुकी है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे। कानूनों को और सख्ती से लागू करने के साथ ही नागरिक जागरूकता अभियानों को अधिक प्रभावी और व्यवहारिक बनाना होगा। नागरिकों को यह समझना होगा कि साफ-सफाई और अनुशासन केवल सरकार का कार्य नहीं, बल्कि हर व्यक्ति का नैतिक दायित्व है।
भारत जब तक अपने नागरिकों में जिम्मेदारी, अनुशासन और सामाजिक संवेदनशीलता की भावना नहीं जगा पाएगा, तब तक विकास अधूरा रहेगा। सिविक सेंस केवल नियमों का पालन नहीं, बल्कि एक सभ्य, संवेदनशील और विकसित समाज की पहचान है। जब हर व्यक्ति सार्वजनिक स्थलों को अपने घर जैसा समझकर साफ रखेगा और दूसरों की सुविधा का सम्मान करेगा, तभी भारत वास्तव में एक विकसित और जिम्मेदार राष्ट्र कहलाने योग्य बनेगा।
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