New Delhi News (29 October 2025): दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने राजधानी के सीमापुरी इलाके से एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है, जिसका संबंध पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से बताया जा रहा है। गिरफ्तार आरोपी की पहचान 59 वर्षीय आदिल हुसैनी के रूप में हुई है। पुलिस का कहना है कि आदिल लंबे समय से पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था और उसने विदेशी एजेंसियों को संवेदनशील जानकारी साझा की। उसके खिलाफ कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें परमाणु ठिकानों से जुड़ी जानकारियों की तस्करी भी शामिल है।
रूसी वैज्ञानिक से डिजाइन लेकर ईरानी एजेंट को बेचा
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आदिल हुसैनी ने एक रूसी वैज्ञानिक से ‘न्यूक्लियर रिलेटेड डिजाइन’ हासिल किया था, जिसे उसने ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन (AEOI) के एजेंट को बेच दिया। इस पूरे नेटवर्क में भारत के परमाणु प्रतिष्ठान भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) से जुड़े एक कर्मचारी से भी संपर्क की आशंका जताई जा रही है। जांच एजेंसियां इसे एक बड़े “परमाणु जासूसी नेटवर्क” का हिस्सा मान रही हैं और देशभर में इसके लिंक तलाशने में जुटी हैं।
सीमापुरी से गिरफ्तारी और फर्जी पहचान का खुलासा
दिल्ली पुलिस की एंटी-टेरर यूनिट ने सीमापुरी में छापा मारकर आदिल को गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि उसने खुद को BARC का वैज्ञानिक बताकर फर्जी पहचान पत्र तैयार किए थे। उसका भाई अख्तर हुसैनी भी इसी नेटवर्क का हिस्सा है, जिसे हाल ही में मुंबई से गिरफ्तार किया गया। दोनों भाइयों पर संवेदनशील दस्तावेजों की चोरी और फर्जी पहचान के ज़रिए विदेशी एजेंटों से संपर्क करने का आरोप है।
ईरानी जासूस से डील और दुबई में निवेश
पुलिस जांच से यह भी पता चला है कि आदिल ने ईरानी एजेंटों के साथ की गई डील से करोड़ों रुपये कमाए, जिनसे उसने दुबई में प्रॉपर्टी खरीदी। मूल रूप से झारखंड के जमशेदपुर का रहने वाला आदिल पिछले दो दशकों से दिल्ली के सीमापुरी इलाके में रह रहा था। पुलिस ने उसके पास से कई फर्जी यात्रा दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और नक्शे बरामद किए हैं। अधिकारियों के अनुसार, हुसैनी ने पाकिस्तान और खाड़ी देशों के कई दौरों के लिए इन फर्जी पासपोर्टों का इस्तेमाल किया।
कई नामों से चल रहा था जासूसी नेटवर्क
दिल्ली पुलिस ने बताया कि आरोपी के कई फर्जी नाम हैं—सैयद आदिल हुसैन, मोहम्मद आदिल हुसैनी और नसीमुद्दीन। पुलिस ने उसके पास से एक असली और दो जाली पासपोर्ट बरामद किए हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि उसने विभिन्न पहचान के जरिए अलग-अलग देशों में संपर्क बनाए और भारतीय नागरिक के रूप में कई दस्तावेज हासिल किए। अदालत ने उसे सात दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है ताकि उससे नेटवर्क से जुड़े अन्य एजेंटों की जानकारी निकाली जा सके।
तेल कंपनियों और कैफे संचालक तक फैला गिरोह
पुलिस ने बताया कि दोनों भाइयों ने पहले यूएई की तेल कंपनियों में काम किया था और खुद को ‘BARC वैज्ञानिक’ बताकर क्लाइंट्स से संपर्क करते थे। उनके पास से कई नक्शे, संवेदनशील दस्तावेज और BARC के दो नकली आईडी कार्ड बरामद हुए हैं। जांच में यह भी सामने आया कि इस नेटवर्क में एक कैफे संचालक की भूमिका भी संदिग्ध है। अब एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि इस गिरोह ने कितनी संवेदनशील जानकारी विदेशी खुफिया एजेंसियों को बेची और भारत की सुरक्षा को कितना खतरा पहुंचाया।।
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