अफगानिस्तान–पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ा: 2024–2025 के संघर्ष ने खोली पुराने विवादों की परतें

टेन न्यूज नेटवर्क

National News (27/10/2025): अफगानिस्तान और पाकिस्तान (Afghanistan and Pakistan) के बीच हालिया सीमा संघर्ष ने एक बार फिर दोनों देशों के रिश्तों की नाजुकता को उजागर कर दिया है। ऐतिहासिक विवादों, आतंकी गतिविधियों और अविश्वास की गहराई से जड़ा यह संघर्ष अब क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन गया है। 2024–2025 के दौरान डुरंड रेखा पर हुई झड़पों ने दोनों देशों की सुरक्षा और कूटनीतिक नीतियों की सीमाओं (limitations) को स्पष्ट कर दिया है।

संघर्ष की शुरुआत दिसंबर 2024 में हुई, जब पाकिस्तान ने अपने सुरक्षा बलों पर हुए आत्मघाती हमले के बाद अफगानिस्तान के खोस्त और पकतिका प्रांतों में टीटीपी (तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के ठिकानों पर हवाई हमले किए। पाकिस्तान ने दावा किया कि वह आतंकवादी ठिकानों को निशाना बना रहा था, जबकि अफगान तालिबान ने नागरिकों के मारे जाने का आरोप लगाया। इसके जवाब में अफगान बलों ने पाकिस्तानी चौकियों पर हमले किए। मार्च 2025 में पाकिस्तान के एक मदरसे में आत्मघाती धमाका हुआ, जिसके पीछे अफगान आतंकियों के होने का संदेह जताया गया। अक्टूबर 2025 तक हालात इतने बिगड़े कि दोनों देशों के बीच भीषण लड़ाई छिड़ गई। अंततः कतर और तुर्की की मध्यस्थता से अस्थायी युद्धविराम लागू हुआ, लेकिन तनाव अभी भी कायम है।

इस विवाद का सबसे बड़ा कारण है डुरंड रेखा, जिसे 1893 में ब्रिटिश भारत ने खींचा था। अफगानिस्तान ने इसे कभी अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में स्वीकार नहीं किया। यह रेखा पश्तून जनजातियों को दो हिस्सों में बाँटती है, जिससे सीमा नियंत्रण और सुरक्षा जटिल बन जाती है। पाकिस्तान द्वारा 2017 से लगाई जा रही सीमा बाड़ ने इस विवाद को और गहरा कर दिया है, क्योंकि अफगान तालिबान और स्थानीय समुदाय इसे स्थायी विभाजन का प्रतीक मानते हैं।

तनाव का दूसरा प्रमुख कारण है तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP)। यह संगठन अफगान तालिबान के वैचारिक रूप से निकट है और 2021 में तालिबान की सत्ता वापसी के बाद से अफगानिस्तान में शरण लिए हुए है। टीटीपी के आतंकियों ने पाकिस्तान में हमलों की श्रृंखला चलाई है, जिसके चलते इस्लामाबाद ने काबुल पर कार्रवाई का दबाव बनाया। लेकिन अफगान तालिबान ने संगठन के खिलाफ कठोर कदम नहीं उठाए, जिससे पाकिस्तान की नाराज़गी और बढ़ गई है।

2024–2025 का यह संघर्ष दोनों देशों की नीतिगत विफलता को दर्शाता है। पाकिस्तान, जिसने कभी तालिबान को रणनीतिक सहयोगी माना था, अब उसी शासन से चुनौती का सामना कर रहा है। वहीं अफगान तालिबान को आतंरिक स्थिरता और बाहरी दबाव के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो रहा है। सीमा विवाद, आतंकी गतिविधियाँ और गहरे अविश्वास की वजह से स्थायी शांति फिलहाल दूर दिखाई देती है। जब तक दोनों देश पारस्परिक विश्वास और सहयोग की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक अफगान-पाक सीमा दुनिया के सबसे अस्थिर क्षेत्रों में बनी रहेगी।

डिस्क्लेमर: यह लेख / न्यूज आर्टिकल सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी और प्रतिष्ठित / विश्वस्त मीडिया स्रोतों से मिली जानकारी पर आधारित है।यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। पाठक कृपया स्वयं इस की जांच कर सूचनाओं का उपयोग करे॥


प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन भारत सरकार , दिल्ली सरकार, राष्ट्रीय एवं दिल्ली राजनीति ,   दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस तथा दिल्ली नगर निगम, NDMC, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : राष्ट्रीय न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।

टेन न्यूज हिंदी | Ten News English | New Delhi News | Greater Noida News | NOIDA News | Yamuna Expressway News | Jewar News | NOIDA Airport News.


Discover more from टेन न्यूज हिंदी

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

टिप्पणियाँ बंद हैं।