इनोवेटिव ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स में “जॉब-रेडी स्किल्स” पर केंद्रित कार्यशाला का आयोजन
इनोवेटिव ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स द्वारा “कैंपस से क्यूबिकल तक: कॉर्पोरेट की अपेक्षाएँ” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन संस्थान परिसर में किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को कॉर्पोरेट जगत की वास्तविकताओं से अवगत कराना तथा उन्हें उद्योगों की वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसे मुख्य अतिथि प्रो. नवीन वर्मा (M.Tech, IIT, CPIM, CISCO, IDB&M, CSCP) एवं देवेंद्र कौर ने अन्य गणमान्य अतिथियों के साथ सम्पन्न किया। इस अवसर पर डॉ. त्रितिष्का शर्मा (अकादमिक डायरेक्टर), उषा शर्मा (मैनेजिंग डायरेक्टर), डॉ. ए. बक्शी (निदेशक, IIET), डॉ. एम. पांडे (प्राचार्य, इनोवेटिव इंस्टिट्यूट ऑफ लॉ), और डॉ. अमरजीत सिंह (प्राचार्य, इनोवेटिव कॉलेज ऑफ फार्मेसी) भी उपस्थित रहे।
अपने स्वागत भाषण में डॉ. त्रितिष्का शर्मा ने कार्यशाला के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन शैक्षणिक जगत और कॉर्पोरेट जगत के बीच की दूरी को कम करने में सहायक होते हैं। उषा शर्मा ने “जॉब रेडी” युवाओं की समाज में भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के युग में केवल डिग्री ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक कौशल भी अत्यंत आवश्यक हैं।
डॉ. बक्शी ने मुख्य वक्ता प्रो. नवीन वर्मा का परिचय कराया। अपने सत्र में प्रो. वर्मा ने बताया कि आज के प्रतिस्पर्धी कॉर्पोरेट माहौल में केवल किताबी ज्ञान पर्याप्त नहीं है; उद्योगों को ऐसे युवा चाहिए जो व्यवहारिक ज्ञान, टीम वर्क, समस्या समाधान और संचार कौशल में दक्ष हों।
कार्यशाला का दूसरा सत्र “सेल्फ सेलिंग” पर आधारित था, जिसे देवेंद्र कौर ने संचालित किया। उन्होंने छात्रों को आत्म-प्रस्तुति, आत्मविश्वास और प्रभावी संवाद कौशल की महत्ता समझाई। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे एक उम्मीदवार अपने व्यक्तित्व को साक्षात्कार या अन्य पेशेवर मंचों पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सकता है।
अंत में एक प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और विशेषज्ञों से सीधे संवाद कर अपने संदेहों का समाधान प्राप्त किया।
कार्यक्रम का समापन डॉ. अमरजीत सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि आत्म-निर्भर और आत्मविश्वासी बनने के लिए छात्रों को निरंतर स्वयं को निखारना चाहिए और इस प्रकार की कार्यशालाएँ उनके समग्र विकास में सहायक होती हैं।
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