श्री धार्मिक रामलीला कमेटी: सुपर्णखा प्रसंग से जटायु बलिदान तक का अद्भुत मंचन

टेन न्यूज नेटवर्क

GREATER NOIDA News (29/09/2025): श्री धार्मिक रामलीला कमेटी, ग्रेटर नोएडा द्वारा आयोजित रामलीला मंचन का सातवां दिन भक्तिभाव और गूंजते जयघोषों के बीच संपन्न हुआ। गोस्वामी सुशील जी महाराज के पावन निर्देशन तथा अध्यक्ष आनंद भाटी के कुशल मार्गदर्शन में प्रस्तुत की गई आज की लीला ने दर्शकों को आदिकाल की घटनाओं से भावविभोर कर दिया। इस अवसर पर क्षेत्र के लोकप्रिय सांसद डॉ. महेश शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

अत्रि ऋषि आश्रम से पंचवटी तक की यात्रा

गणेश वंदना से प्रारंभ हुई लीला में भगवान श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण संग ऋषि अत्रि के आश्रम पहुँचे। यहाँ माता अनसूया ने सीता जी को स्त्री धर्म का गूढ़ ज्ञान प्रदान किया। इसके पश्चात रामजी ने अनेक ऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त कर राक्षसों का संहार करते हुए पंचवटी की ओर प्रस्थान किया। यहीं प्रभु ने कुटिया का निर्माण कर निवास किया।

सुपर्णखा प्रसंग और खर-दूषण वध

पंचवटी में सुपर्णखा का प्रवेश हुआ, जिसने श्रीराम से विवाह का आग्रह किया। अस्वीकार होने पर वह लक्ष्मण के पास पहुँची, परंतु वहाँ भी निराश होने के बाद उसने माता सीता को हानि पहुँचाने का प्रयास किया। लक्ष्मण ने उसका नाक-कान काटकर दंडित किया। अपमानित होकर सुपर्णखा ने अपने भाई खर-दूषण को उकसाया, जिससे भीषण युद्ध हुआ। अंततः भगवान श्रीराम ने खर और दूषण दोनों का वध कर धर्म की रक्षा की।

रावण का षड्यंत्र और सीता हरण

सुपर्णखा लंका जाकर रावण को भड़काती है। बहन का अपमान सुनकर रावण प्रतिशोध की अग्नि में भर उठता है और सीता हरण का संकल्प करता है। मारीच स्वर्ण मृग का रूप धारण कर पंचवटी पहुँचता है। माता सीता की इच्छा पर भगवान श्रीराम उस मृग का पीछा करते हैं। छलपूर्वक मारीच राम की आवाज निकालकर लक्ष्मण को दूर कर देता है। तभी रावण ब्राह्मण वेश में कुटिया में प्रवेश कर माता सीता का हरण कर लेता है।

जटायु का पराक्रम और बलिदान

रावण जब सीता जी को आकाश मार्ग से ले जा रहा था, तब जटायु ने वीरतापूर्वक उनका मार्ग रोका। किंतु असमान युद्ध में घायल होकर जटायु भूमि पर गिर पड़े। आगे चलकर श्रीराम ने जटायु से अंतिम भेंट कर उनका विधिपूर्वक अंतिम संस्कार किया। यह प्रसंग देखकर पूरा परिसर भावुक हो उठा।

जयकारों से गूंजा रामलीला परिसर

आज का मंचन गहन करुणा और शिक्षा से परिपूर्ण रहा। दर्शकों ने हर प्रसंग पर तालियों और जय श्रीराम के उद्घोष से वातावरण गूंजायमान कर दिया। लीला का मुख्य संदेश यह रहा कि पराई स्त्री अथवा पराए पुरुष के प्रति कुत्सित भाव अंततः अपमान और वंश-विनाश का कारण बनते हैं।

इस अवसर पर संस्थापक गोस्वामी सुशील जी महाराज, संस्थापक एडवोकेट राजकुमार नागर, मुख्य संरक्षक नरेश गुप्ता, संरक्षक सुशील नागर, धीरेंद्र भाटी, मनोज गुप्ता, सतीश भाटी सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। मंच संचालन एवं समन्वय में मीडिया प्रभारी अतुल आनंद सिंह तथा अध्यक्ष आनंद भाटी के साथ संपूर्ण रामलीला कमेटी सक्रिय रही।


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