यमुना तटबंध पर नहीं बनेगा एलिवेटेड एक्सप्रेसवे, सिंचाई विभाग ने क्यों जताई आपत्ति !
टेन न्यूज नेटवर्क
GREATER NOIDA News (09/09/2025): नोएडा से ग्रेटर नोएडा होते हुए जेवर एयरपोर्ट तक यातायात की बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए यमुना तटबंध पर एलिवेटेड एक्सप्रेसवे बनाने की महत्वाकांक्षी योजना को बड़ा झटका लगा है। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने इस योजना को सुरक्षा और तकनीकी कारणों से अस्वीकार कर दिया है। इसके चलते अब नोएडा प्राधिकरण को पूरी योजना को नए सिरे से तैयार करना पड़ेगा।
सुरक्षा और तकनीकी कारणों से एनओसी पर रोक
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता दिनेश सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यमुना तटबंध पर एलिवेटेड स्ट्रक्चर का निर्माण संभव नहीं है, क्योंकि इससे बाढ़ सुरक्षा और तटबंध की संरचना को खतरा हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि एलिवेटेड एक्सप्रेसवे बनाना ही है, तो वह तटबंध के आगे-पीछे या डूब क्षेत्र में बने पिलर्स के माध्यम से ही संभव है, लेकिन इसके लिए नशानस्त शीन ट्रिब्यूनल और पर्यावरणीय संस्थाओं से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
इस परियोजना के पीछे जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह और गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा की पहल थी। दोनों जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस परियोजना के लिए समर्थन मांगा था। उनका तर्क था कि जेवर में बन रहे नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के शुरू होते ही नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक का भारी दबाव पड़ेगा, जिसे कम करने के लिए यमुना तटबंध के समानांतर एक वैकल्पिक एलिवेटेड एक्सप्रेसवे जरूरी है।
एनएचएआई को सौंपी जानी थी जिम्मेदारी, लेकिन एनओसी बनी बाधा
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण की जिम्मेदारी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को देने का प्रस्ताव था। इसके लिए उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (PWD) ने सिंचाई विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) मांगा था, लेकिन सिंचाई विभाग ने उक्त क्षेत्र को संवेदनशील बताते हुए एनओसी देने से इनकार कर दिया।
अब बनेगी नई कार्ययोजना
नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम. ने कहा कि अब इस परियोजना पर नए सिरे से विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया, हम एक नई कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं, जिसमें सभी तकनीकी और पर्यावरणीय पहलुओं का विस्तृत अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद विभिन्न संबंधित विभागों से सलाह और अनुमतियां लेकर आगे की दिशा तय की जाएगी।
तटबंध क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति भी बनी बाधा
सूत्रों के अनुसार, यमुना तटबंध की स्थिति ऐसी है कि वहां भारी ढांचागत निर्माण करने से नदी की स्वाभाविक धारा और आसपास के इलाकों की जलनिकासी व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। खासकर मानसून के दौरान जब यमुना का जलस्तर बढ़ता है, तो डूब क्षेत्र में पानी भरने की आशंका बढ़ जाती है, जिससे आसपास की आबादी को खतरा हो सकता है।
जनहित प्रभावित, पर समाधान की उम्मीद
एक्सप्रेसवे के न बनने से फिलहाल आम जनता को आने वाले वर्षों में ट्रैफिक जाम और आवागमन में असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, स्थानीय जनप्रतिनिधियों का दावा है कि वे इस विषय पर लगातार पैरवी कर रहे हैं और एनएचएआई के माध्यम से वैकल्पिक मार्ग या संरचना पर विचार किया जा रहा है।
यमुना तटबंध पर एलिवेटेड एक्सप्रेसवे बनाने की योजना पर फिलहाल विराम लग गया है, लेकिन सरकार और स्थानीय प्रशासन अब नई कार्ययोजना के तहत इस जरूरत का समाधान खोजने में जुटे हैं।
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