न्यूक्लियर मेडिसिन टेक्नोलॉजिस्ट परीक्षा पर विवाद, मंत्री अजय टम्टा से समाधान की मांग

टेन न्यूज नेटवर्क

New Delhi News (08 September 2025): परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) द्वारा आयोजित न्यूक्लियर मेडिसिन टेक्नोलॉजिस्ट क्वालिफाइंग एग्जाम (NMTCT) को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। विशेषज्ञों और छात्रों का कहना है कि यह परीक्षा न केवल एईआरबी के नियामक दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रही है, बल्कि परमाणु चिकित्सा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में शैक्षणिक मानकों और रोगी सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही है। इसी मुद्दे को लेकर न्यूक्लियर मेडिसिन फिजिसिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य विवेक कुमार ने केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा से मुलाकात कर समस्या के समाधान की अपील की है।

परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 के प्रावधानों के तहत केवल एईआरबी-मान्यता प्राप्त संस्थानों से प्रशिक्षित व्यक्ति ही न्यूक्लियर मेडिसिन टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में लाइसेंस प्राप्त करने के पात्र हैं। एईआरबी ने 13 जुलाई 2022 को जारी परिपत्र में स्पष्ट किया था कि केवल मान्यता प्राप्त संस्थानों के स्नातकों को ही लाइसेंस दिया जाएगा। इसके अलावा, 5 अक्टूबर 2023 को जारी एक आरटीआई के जवाब में भी यह दोहराया गया था कि NMTCT परीक्षा केवल अप्रैल 2022 से पहले गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों से उत्तीर्ण उम्मीदवारों के लिए एक बार के अपवाद के तौर पर आयोजित की गई थी।

इसके बावजूद बीएआरसी ने 29 नवंबर 2024 को अधिसूचना संख्या BARC/RPAD/MPS-MIP&TG/NMTCT/2024/505 जारी कर एक और परीक्षा आयोजित की और उसे अंतिम परीक्षा घोषित किया। हैरानी की बात यह है कि अब एक नई अधिसूचना के जरिए एक और एनएमटीसीटी आयोजित करने की घोषणा कर दी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न केवल एईआरबी के परिपत्र और पूर्व अधिसूचनाओं के विपरीत है, बल्कि गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों के उम्मीदवारों को लाइसेंस देकर पूरे नियामक ढांचे को कमजोर कर रहा है।

छात्रों और विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की असंगतियां परमाणु चिकित्सा क्षेत्र में शिक्षा और नैदानिक मानकों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। उनका कहना है कि गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों से आने वाले उम्मीदवारों को लाइसेंस मिलने से एईआरबी-मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों की डिग्रियों का अवमूल्यन हो रहा है। इससे भी बड़ी चिंता यह है कि अपर्याप्त रूप से प्रशिक्षित टेक्नोलॉजिस्ट के क्षेत्र में प्रवेश करने से विकिरण सुरक्षा और रोगियों का स्वास्थ्य सीधा खतरे में पड़ सकता है।

इस मामले में छात्रों और हितधारकों ने सार्वजनिक अपील जारी करते हुए तीन मुख्य मांगें रखी हैं—गैर-मान्यता प्राप्त उम्मीदवारों के लिए आयोजित एनएमटीसीटी को तत्काल रद्द किया जाए, एईआरबी के परिपत्रों और आरटीआई स्पष्टीकरणों में पूर्ण एकरूपता लाई जाए और मान्यता प्राप्त संस्थानों के छात्रों की डिग्रियों एवं अधिकारों की रक्षा की जाए।

मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में इस संबंध में एक जनहित याचिका (PIL) भी दाखिल की गई है, जिसकी पैरवी वकील हर्ष सिंघल कर रहे हैं। वहीं, न्यूक्लियर मेडिसिन फिजिसिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य विवेक कुमार ने केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा से मुलाकात कर स्वास्थ्य मंत्रालय को तत्काल हस्तक्षेप करने और इस मुद्दे पर स्पष्ट व ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करने की अपील की है।

विशेषज्ञों का मानना है कि परमाणु चिकित्सा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में सुरक्षा और गुणवत्ता सर्वोपरि होनी चाहिए। ऐसे में नियामक ढांचे में असंगति न केवल विश्वास को कमजोर करती है बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।


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