हस्तशिल्प उत्पादों पर टैक्स में कटौती ना केवल व्यापारियों बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी राहत: डॉ राकेश कुमार, चेयरमैन, इंडिया एक्सपो मार्ट

टेन न्यूज नेटवर्क

GREATER NOIDA News (04/09/2025): भारतीय हस्तशिल्प उद्योग को एक बड़ी राहत मिली है। हाल ही में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में हस्तशिल्प वस्तुओं पर कर में राहत देने का महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। इसके तहत कई हस्तशिल्प उत्पादों को 5% की श्रेणी में लाया गया है, जबकि कुछ उत्पादों पर जीएसटी को शून्य कर दिया गया है। इससे न सिर्फ कारीगरों को लाभ मिलेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी सस्ते दर पर गुणवत्तापूर्ण हस्तशिल्प उत्पाद उपलब्ध होंगे।

इस विषय पर “Handicraft Man of India” के नाम से पहचाने जाने वाले डॉ. राकेश कुमार, जो कि इंडिया एक्‍सपो मार्ट, ग्रेटर नोएडा के चेयरमैन और हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (EPCH) के महानिदेशक हैं, ने टेन न्यूज़ नेटवर्क से खास बातचीत में सरकार के इस फैसले का स्वागत किया।

डॉ. राकेश कुमार ने कहा, सबसे पहले मैं भारत सरकार, विशेष रूप से वाणिज्य मंत्रालय, वस्त्र मंत्रालय और माननीय प्रधानमंत्री का धन्यवाद करना चाहता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष दिवाली से पहले हस्तशिल्प वस्तुओं को जीएसटी में एक विशेष श्रेणी के रूप में प्रस्तुत करने की जो घोषणा की थी, उसका अब दिवाली से पहले क्रियान्वयन हो चुका है। यह न केवल व्यापारिक समुदाय के लिए, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी बहुत बड़ी राहत है।

उन्होंने आगे बताया कि यह प्रक्रिया दिवाली से पहले, गणेश चतुर्थी के आस-पास, ही शुरू कर दी गई थी ताकि त्योहारी सीज़न में हस्तशिल्प वस्तुओं की बिक्री को गति मिले।

डॉ. राकेश कुमार ने यह भी बताया कि इस फैसले के पीछे देशभर के हस्तशिल्प संघों की सक्रिय भूमिका रही है। उन्होंने कहा, हमारी संस्था EPCH के साथ-साथ जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स फेडरेशन, मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट एसोसिएशन, यंग एंटरप्रेन्योर्स सोसाइटी, सहारनपुर वुड कार्विंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन, आगरा मार्बल मैन्युफैक्चरर्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन और दक्षिण भारत की कई संस्थाओं ने मिलकर सरकार को ज्ञापन सौंपा और सभी HSN कोड की सूची प्रस्तुत की।

उन्होंने स्पष्ट किया कि हस्तशिल्प के लिए कोई अलग जीएसटी कोड नहीं है, बल्कि यह विभिन्न HSN कोड्स के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने कहा, हस्तशिल्प कोड के रूप में कोई अलग कोड नहीं है। ये सारे उत्पाद जैसे लकड़ी की नक्काशी, अगरबत्ती, संगमरमर की इनले कला – सभी अलग-अलग HSN कोड में आते हैं। लेकिन ये हमारे प्रमुख क्लस्टर्स में बनाए जाते हैं, इसलिए इन्हें हस्तशिल्प का हिस्सा माना जाता है।

फर्नीचर HSN कोड पर राहत अभी बाकी

हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि कुछ क्षेत्रों में अभी भी राहत की आवश्यकता है, विशेष रूप से फर्नीचर से जुड़े HSN कोड्स पर अभी राहत नहीं दी गई है। सरकार से निवेदन है कि जो फर्नीचर हमारे क्लस्टर्स जैसे जोधपुर और सहारनपुर में हस्तनिर्मित रूप से बनाए जाते हैं, उन्हें भी 5% जीएसटी की श्रेणी में लाया जाए।

मजदूरों और कारीगरों को सीधा लाभ

डॉ.राकेश कुमार ने जोर देकर कहा कि यह निर्णय किसी बड़े निवेशक या निर्माता के लिए नहीं, बल्कि देश के लाखों कारीगरों, बुनकरों और हस्तशिल्प में लगे छोटे उद्यमियों के लिए सीधी राहत है। उन्होंने कहा, इस फैसले से असली लाभ हमारे छोटे कारीगरों, बुनकरों और शिल्पियों को होगा। ये वही लोग हैं जो दिन-रात मेहनत कर भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हैं। और उपभोक्ताओं को भी अब कम कीमत पर हस्तनिर्मित वस्तुएं मिलेंगी।

भारत सरकार को विशेष धन्यवाद

डॉ. राकेश कुमार ने इस निर्णय में सक्रिय सहयोग के लिए भारत सरकार का भी विशेष धन्यवाद किया और उम्मीद जताई कि शेष HSN कोड्स पर भी जल्द ही राहत मिलेगी। भारत सरकार का यह निर्णय न सिर्फ भारतीय हस्तशिल्प उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा, बल्कि देश की पारंपरिक कला को भी संरक्षित करने में सहायक सिद्ध होगा। उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में और भी श्रेणियों को कर राहत की श्रेणी में लाया जाएगा।


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