EPCH ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक में हस्तशिल्प क्षेत्र पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव का मुद्दा उठाया

दिल्ली/एनसीआर – 27 अगस्त 2025 – ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। बैठक में ईपीसीएच के मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल और ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा भी उपस्थित रहे । ईपीसीएच के अतिरिक्त कार्यकारी निदेशक राजेश रावत ने बताया कि बैठक का उद्देश्य भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव और संभावित शमन रणनीतियों की चर्चा करना था।

वर्तमान स्थिति पर बोलते हुए, ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने कहा, “अमेरिकी टैरिफ वृद्धि ने भारतीय हस्तशिल्प निर्यातकों के लिए अभूतपूर्व चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं, जिससे न केवल व्यापार की मात्रा बल्कि लाखों कारीगरों की आजीविका भी खतरे में पड़ गई है। इस टैरिफ झटके के कारण निर्यात में गिरावट, ऑर्डर रद्द होने और निर्यातकों, खासकर छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों, जो हस्तशिल्प उद्योग की रीढ़ हैं, के लिए कार्यशील पूंजी का संकट पैदा हो गया है। इन चुनौतियों के बावजूद, हस्तशिल्प क्षेत्र ‘राष्ट्र प्रथम’ नीति के सिद्धांत के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।”

डॉ. खन्ना ने आगे कहा, “उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे बड़ा हस्तशिल्प निर्यातक राज्य है, जो देश के निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है, परिषद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक विज़न पेपर 2025-35 प्रस्तुत किया है। यह विज़न पेपर हस्तशिल्प निर्यात को दोगुना करने, मुरादाबाद, सहारनपुर, भदोही, वाराणसी आदि जैसे विश्व प्रसिद्ध शिल्प समूहों को मज़बूत करने और कारीगरों के कल्याण को बढ़ाने की रणनीतियाँ प्रस्तुत करता है। यह आगामी उत्तर प्रदेश निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30 के अंतर्गत अवसरों पर भी प्रकाश डालता है और सतत विकास एवं प्रतिस्पर्धात्मकता के निर्माण हेतु नीतिगत हस्तक्षेपों की सिफ़ारिश करता है।”

ईपीसीएच के मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल ने कहा, “हमारे हस्तशिल्प निर्यातक भारी दबाव में हैं, लेकिन यह सामूहिक संकल्प का भी समय है। जहाँ सरकार हमारे निर्यातकों के लिए अनुकूल शर्तें सुनिश्चित करने हेतु अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखे हुए है, वहीं हमें यूरोपीय संघ, मध्य पूर्व, पूर्वी एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे उभरते और उच्च-संभावना वाले क्षेत्रों में भी अपनी उपस्थिति बढ़ानी होगी। विविधीकरण से न केवल एकल बाजार पर हमारी निर्भरता कम होगी, बल्कि हमारे निर्यातकों के लिए विकास के नए अवसर भी खुलेंगे। उन्होंने आगे बताया कि मुरादाबाद के निर्यातकों की चुनौतियों, जिनमें नगर निगम, गृह कर, प्रदूषण, जीएसटी, श्रम आदि से संबंधित मुद्दे शामिल हैं, पर भी मुख्यमंत्री के साथ विस्तार से चर्चा की गई।”

ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने कहा कि “ईपीसीएच सरकार के साथ मिलकर तत्काल राजकोषीय और गैर-राजकोषीय हस्तक्षेप सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे उद्योग को वैश्विक व्यापार परिवर्तनों का खामियाजा न भुगतना पड़े। इसमें अमेरिका जाने वाले शिपमेंट के लिए लागत समानीकरण प्रोत्साहन, ब्याज समानीकरण योजना के तहत बढ़े हुए लाभ, आयकर अधिनियम की पूर्ववर्ती धारा 80एचएचसी के अनुरूप आयकर छूट, बढ़ी हुई दरों के साथ भारत से व्यापारिक निर्यात योजना (एमईआईएस) को फिर से लागू करना, हस्तशिल्प वस्तुओं के लिए बढ़ी हुई आरओडीटीईपी और शुल्क वापसी दरें और निर्यात संवर्धन मिशन योजना के तहत प्रोत्साहन योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाना शामिल है।”

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को 13-17 अक्टूबर 2025 को ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में आयोजित होने वाले आईएचजीएफ दिल्ली मेला ऑटम 2025 के आगामी 60वें संस्करण का उद्घाटन करने का निमंत्रण भी दिया।

बैठक के दौरान मंत्री ने उठाए गए मुद्दों को धैर्यपूर्वक सुना।

हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद देश से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न शिल्प समूहों में घरेलू, जीवनशैली, वस्त्र, फैशन आभूषण और सहायक उत्पादों के उत्पादन में लगे लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड छवि बनाने के लिए एक नोडल संस्थान है। वर्ष 2024-25 के दौरान कुल हस्तशिल्प निर्यात 33,123 करोड़ रुपये (3,918 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा और वर्ष 2024-25 के दौरान अमेरिका को हस्तशिल्प का निर्यात 12,814.73 करोड़ रुपये (1,518.18 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा । 2024-25 के दौरान उत्तर प्रदेश से हस्तशिल्प का निर्यात 7122.49 करोड़ रुपये रहा ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया |


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