किसानों की आवाज बुलंद करने के लिए ग्रेटर नोएडा में राकेश टिकैत की महापंचायत
टेन न्यूज़ नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (26 दिसंबर 2024): किसानों के मुद्दों को लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत 30 दिसंबर को ग्रेटर नोएडा में एक महापंचायत की अगुवाई करेंगे। यह महापंचायत जीरो पॉइंट पर आयोजित की जाएगी, जिसमें वेस्ट यूपी के हजारों किसानों की भागीदारी तय मानी जा रही है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य किसानों की लंबित मांगों और अधिकारों को लेकर चर्चा करना और सरकार पर दबाव बनाना है।
महापंचायत में किसानों की प्रमुख मांगें होंगी
1. 64.7% मुआवजा और 10% प्लॉट का आवंटन: किसानों का कहना है कि अब तक प्राधिकरण ने इन मांगों को पूरा नहीं किया है।
2. 2013 भूमि अधिग्रहण कानून का पालन: किसानों का आरोप है कि इस कानून को लागू करने में जानबूझकर देरी की जा रही है।
3. जेल में बंद किसानों की रिहाई: पिछले महीने धरने पर बैठे किसानों को प्रशासन द्वारा जबरन उठाकर जेल भेज दिया गया था, जिसे लेकर किसानों में रोष है।
किसानों की नाराजगी और आंदोलन का कारण
पश्चिमी उत्तर प्रदेश किसान यूनियन के अध्यक्ष पवन खटाना ने बताया कि प्राधिकरण और सरकार की नीतियां किसानों के खिलाफ हैं। धरने पर बैठे किसानों को जबरन हटाने और गिरफ्तार करने से किसानों में गहरी नाराजगी है। प्रशासन पर आरोप है कि वह किसानों की मांगों को अनसुना कर रहा है और उन्हें गुमराह करने का प्रयास कर रहा है।
महापंचायत की रणनीति
महापंचायत में किसानों के अधिकारों और न्याय की मांग को लेकर एक व्यापक रणनीति बनाई जाएगी। आंदोलन को और तेज करने की योजना बनाई जा रही है।
किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे लंबे समय तक संघर्ष करेंगे।
महापंचायत में प्रमुख किसान नेता होंगे शामिल
महापंचायत में राकेश टिकैत के साथ अन्य प्रमुख किसान नेता भी शामिल होंगे। इनमें सुरेंद्र नागर, अनित कसाना, मटरू नागर, राजे प्रधान, विनोद शर्मा, और कई अन्य वरिष्ठ नेता होंगे। इन नेताओं के नेतृत्व में किसानों के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी।
किसानों की चेतावनी: संघर्ष जारी रहेगा
किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया, तो आंदोलन और भी बड़ा होगा। महापंचायत के बाद सरकार को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
30 दिसंबर को आयोजित यह महापंचायत किसानों के संघर्ष का एक अहम मोड़ साबित हो सकती है। वेस्ट यूपी के किसानों का यह आंदोलन न केवल उनके अधिकारों के लिए है, बल्कि यह सरकार और प्रशासन के प्रति उनके रोष का प्रतीक भी है। अब देखना यह है कि सरकार इस महापंचायत के बाद क्या कदम उठाती है और किसानों की समस्याओं का समाधान कैसे करती है।।
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