केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने निर्यात परिषदों और EPCH के साथ अमेरिकी टैरिफ से निपटने पर चर्चा की
नई दिल्ली – 13 अगस्त 2025 – गिरिराज सिंह, केंद्रीय वस्त्र मंत्री, भारत सरकार, पबित्रा मार्गेरिटा, वस्त्र राज्य मंत्री, भारत सरकार; नीलम शमी राव, सचिव वस्त्र; शुभ्रा, व्यापार सलाहकार, वस्त्र मंत्रालय; संयुक्त सचिव, वस्त्र मंत्रालय: अजय गुप्ता, पद्मिनी सिंगला; डॉ. एम बीना, डीसी (हथकरघा) और अमृत राज, डीसी (हस्तशिल्प) ने भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव पर चर्चा करने और संभावित शमन रणनीतियों का पता लगाने के लिए विभिन्न वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषदों और उद्योग संघों के प्रमुखों से मुलाकात की।
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) की ओर से ईपीसीएच के महानिदेशक की भूमिका में मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार के साथ ईपीसीएच की प्रशासन समिति के सदस्य राजेश जैन और राजेंद्र गुप्ता, ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा और ईपीसीएच के अतिरिक्त कार्यकारी निदेशक राजेश रावत ने किया ।
भारत सरकार के केंद्रीय वस्त्र मंत्री, गिरिराज सिंह ने कहा कि “वर्तमान टैरिफ परिदृश्य नकारा नहीं जा सकने वाली चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है, लेकिन यह हमें अपनी रणनीतियों को मज़बूत करने और अपने बाज़ारों में विविधता लाने के लिए भी बाध्य करता है। सरकार अपने निर्यातकों के लिए अनुकूल शर्तें सुनिश्चित करने हेतु अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखेगी, साथ ही हमें यूरोपीय संघ, मध्य पूर्व, पूर्वी एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे उभरते और उच्च-संभावना वाले क्षेत्रों में भी अपनी उपस्थिति बढ़ानी होगी। विविधीकरण न केवल एकल बाज़ार पर हमारी निर्भरता कम करेगा, बल्कि हमारे निर्यातकों के लिए विकास के नए अवसर भी खोलेगा। सरकार लक्षित नीतिगत हस्तक्षेपों, प्रोत्साहनों और रणनीतिक व्यापार वार्ताओं के माध्यम से इस क्षेत्र का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारतीय निर्यात वैश्विक स्तर पर फलता-फूलता रहे।”
ईपीसीएच के मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष, महानिदेशक डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि “50% अमेरिकी टैरिफ एक बड़ी चुनौती है, लेकिन यह हमारे व्यापार करने के तरीके पर पुनर्विचार करने का भी समय है। हमने निर्यातकों की सुरक्षा के लिए 30% लागत समकारी प्रोत्साहन, उच्च ब्याज समकारी योजना लाभ और आयकर अधिनियम की धारा 80एचएचसी के अनुरूप आयकर छूट जैसे तत्काल उपायों की सिफारिश की है। उन्होंने आगे कहा कि “हम वेयरहाउसिंग और ड्रॉप शिपिंग जैसे नए आपूर्ति श्रृंखला मॉडल पर भी काम कर रहे हैं, जिससे निर्यातक विदेशी बाजारों में ग्राहकों को सीधे ऑर्डर पूरे कर सकें। हम प्रमुख वैश्विक शहरों में फ्लैगशिप और पार्टनर रिटेल स्टोर खोलने की भी काफी संभावना देखते हैं ताकि ग्राहकों को सीधे उत्पादों की आपूर्ति की जा सके, जिससे बिचौलियों पर निर्भरता कम हो और हमारे निर्यातकों के लाभ मार्जिन में सुधार हो।”
ईपीसीएच के सीओए सदस्य राजेश जैन ने कहा कि “इस अत्यधिक टैरिफ के कारण, हमारे निर्यातक असाधारण दबाव में हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर ऑर्डर रद्द होने से लेकर बेहतर टैरिफ शर्तों वाले देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा तक शामिल है। हम सरकार से इस क्षेत्र के भविष्य की रक्षा के लिए राजकोषीय और कूटनीतिक हस्तक्षेप के साथ शीघ्र कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं।”
ईपीसीएच के सीओए सदस्य राजेंद्र गुप्ता ने कहा कि “हस्तशिल्प क्षेत्र एक गंभीर स्थिति में है और वर्तमान वैश्विक व्यापार परिदृश्य को समय पर और केंद्रित समर्थन की आवश्यकता है। हमारे निर्यातक अनुकूलन और नवाचार के लिए तैयार हैं, लेकिन वे इसे अकेले नहीं कर सकते। हम सरकार से लक्षित राहत उपायों और निरंतर नीतिगत समर्थन का विस्तार करने का अनुरोध करते हैं ताकि यह क्षेत्र निरंतर विकास कर सके, वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सके और लाखों लोगों की आजीविका की रक्षा कर सके।”
बैठक के दौरान मंत्री ने उठाए गए मुद्दों को धैर्यपूर्वक सुना।
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारतीय हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने और उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्प उत्पादों और सेवाओं के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विदेशों में भारत की छवि और होम, लाइफस्टाइल, टेक्स्टाइल, फर्नीचर और फैशन जूलरी ऐंड एक्सेसरीज प्रॉडक्ट के उत्पादन में लगे क्राफ्ट क्लस्टर के लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड इमेज बनाने के लिए जिम्मेदार एक नोडल संस्थान है। इस अवसर पर ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर के वर्मा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान हस्तशिल्प का कुल निर्यात 33,123 करोड़ रुपये (3,918 मिलियन डॉलर) रहा। इसके साथ ही वर्ष 2024-25 के दौरान अमरीका को होने वाला हस्तशिल्प का कुल निर्यात 12,814 करोड़ रुपए था (1518.18 मिलियन डालर) रहा।
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