गुरु बिरजू महाराज की स्मृति में ‘कला प्रवाह 2024’ का आयोजन, शिखा खरे ने साझा किए अनुभव

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली, 24 दिसंबर 2024: गुरु बिरजू महाराज की समृद्ध विरासत को समर्पित भव्य आयोजन ‘कला प्रवाह – द लिगेसी ऑफ आर्ट एंड कल्चर 2024’ का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सानिध्य ए कल्चरल सोसायटी – ए गुरुकुल फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स के तत्वावधान में और शिखा खरे परफॉर्मिंग आर्ट कंपनी द्वारा आयोजित किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ कथक केंद्र की निदेशक प्रणामे भगवती ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर कला और संस्कृति जगत की कई प्रमुख हस्तियों ने उपस्थिति दर्ज कराई, जिनमें पद्मश्री नलिनी, कथक गुरु रजनी राव, तबला वादक डॉ. नागेश्वर कर्ण और सुभाष चंद्र शामिल थे।

वरिष्ठ कलाकारों और छोटे बच्चों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्य प्रस्तुतियों में गुरु निशा महाजन, शिखा खरे की शिष्या सुष्मिता बसु, उनकी सहेली पूजा मनी, और सूर्य नारायण जी एवं उनके शिष्यों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।

बिरजू महाराज से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ रहीं शिखा खरे
कार्यक्रम की मुख्य आयोजक और बिरजू महाराज जी की वरिष्ठ शिष्या, शिखा खरे ने टेन न्यूज़ से विशेष बातचीत में बताया कि यह वार्षिक उत्सव वर्ष 2000 से आयोजित किया जा रहा है। 2004 में यह आयोजन सरकारी पंजीकरण के बाद और भी भव्य हो गया। उन्होंने कहा, “यह आयोजन बिरजू महाराज जी की स्मृतियों और उनकी कला को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास है।”

शिखा खरे, जो उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से सम्मानित हैं और दूरदर्शन की टॉप ग्रेड आर्टिस्ट रही हैं, ने बताया कि उनकी पहली मुलाकात बिरजू महाराज जी से 1983 में लखनऊ कथक केंद्र में हुई थी। महाराज जी के मार्गदर्शन और उनकी कला से प्रेरणा पाकर उन्होंने कथक को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का संकल्प लिया।

कथक में नवाचार और डिजिटल युग की पहल
शिखा खरे ने कथक को लेकर अपनी सोच साझा करते हुए कहा, “कथक एक ऐसा कला रूप है, जो पानी की तरह हर वातावरण में ढल जाता है। मैंने इसमें कई प्रयोग किए हैं, जिससे इसकी सुंदरता और भी बढ़ी है।”

लॉकडाउन के दौरान उन्होंने डिजिटल माध्यम का सहारा लिया और ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए बच्चों को प्रशिक्षित किया। उन्होंने इसे कला जगत के लिए एक नई दिशा बताया।

बिरजू महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि
कार्यक्रम में उपस्थित दर्शकों ने कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियों की सराहना की। यह आयोजन न केवल गुरु बिरजू महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि थी, बल्कि उनकी कला और लिगेसी को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण कदम भी।

इस अवसर ने गुरु बिरजू महाराज की स्मृतियों को जीवंत कर दिया और उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।


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