रेखा गुप्ता सरकार का दो टूक: केवल दिल्ली के नागरिकों को मिलेगा इस योजना का लाभ
टेन न्यूज नेटवर्क
New Delhi News (27/07/2025): दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में साफ कर दिया है कि वह एडवोकेट वेलफेयर स्कीम के तहत केवल उन्हीं वकीलों को लाभ देगी जिनके पास दिल्ली का वोटर आईडी है। इसका सीधा असर उन हज़ारों अधिवक्ताओं पर पड़ेगा जो दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड हैं, दिल्ली की अदालतों में प्रैक्टिस करते हैं, लेकिन NCR जैसे गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद या गुड़गांव में रहते हैं।
दिल्ली सरकार के वकील ने क्या कहा
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि वर्तमान सरकार पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की नीति को ही लागू रखेगी। यह बयान जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच के समक्ष दिया गया, जो इस योजना के दायरे को बढ़ाने की मांग पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केसी मित्तल ने दलील दी कि NCR में रहने वाले वकीलों को भी इस योजना में शामिल किया जाए, क्योंकि वे दिल्ली की अदालतों में नियमित प्रैक्टिस करते हैं और दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड हैं।
वकील समुदाय में असंतोष, आंदोलन की चेतावनी
दिल्ली सरकार के इस रुख के खिलाफ वकील समुदाय में व्यापक असंतोष है। जिला अदालतों की कोऑर्डिनेशन कमिटी के प्रवक्ता एडवोकेट नीरज ने कहा कि यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो हम आंदोलन करेंगे। शाहदरा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वी.के. सिंह ने भी इस निर्णय को अनुचित बताते हुए कहा कि दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाले सभी रजिस्टर्ड अधिवक्ताओं को स्कीम का लाभ मिलना चाहिए, चाहे वे NCR में क्यों न रहते हों।
बार काउंसिल में पंजीकृत वकीलों को लाभ देने की मांग
शाहदरा बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव एडवोकेट मनोज चौहान, जो गाजियाबाद में रहते हैं, ने सवाल उठाया कि दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाले वकील को महज इसलिए वंचित करना कि वह दिल्ली में वोट नहीं देता, यह अन्यायपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली सरकार NCR वकीलों को योजना से बाहर रखती है, तो फिर दिल्ली बार काउंसिल को उनका एनरोलमेंट ही नहीं करना चाहिए था।
वर्तमान में 40 हजार वकील लाभान्वित, अधिक आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा
शाहदरा बार एसोसिएशन के एडिशनल सेक्रेटरी अवध प्रताप सिंह के अनुसार, इस समय लगभग 40,000 वकीलों को दिल्ली सरकार की वेलफेयर स्कीम का लाभ मिल रहा है। अगर दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड सभी वकीलों को जोड़ा जाए, तो यह संख्या 50,000 से 55,000 के बीच होगी। वोटर आईडी की शर्त हटाने से सरकार पर ज्यादा आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा, लेकिन इससे अधिवक्ताओं के बीच असंतोष दूर होगा और न्याय की भावना मजबूत होगी।
अगली सुनवाई 24 अगस्त को
दिल्ली हाई कोर्ट में इस मुद्दे पर अगली सुनवाई 24 अगस्त को निर्धारित की गई है। तब तक वकील समुदाय ने सरकार से अपनी मांगों पर पुनर्विचार की उम्मीद जताई है। अगर सरकार ने रुख नहीं बदला, तो NCR क्षेत्र के वकीलों द्वारा आंदोलन की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।।
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