जन औषधि योजना: सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयों की ओर एक क्रांतिकारी कदम

टेन न्यूज नेटवर्क

New Delhi News (26/07/2025): सरकार द्वारा सभी नागरिकों को किफायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयाँ उपलब्ध कराने हेतु प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) को प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जा रहा है। इस योजना के तहत देशभर में “जन औषधि केंद्र” (JAK) खोले जा रहे हैं, जहाँ ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50% से 80% तक सस्ती दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इन दवाओं के माध्यम से अब तक लगभग ₹38,000 करोड़ की बचत जनता को हो चुकी है।

30 जून 2025 तक देशभर में कुल 16,912 जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं, जिनमें से अकेले तमिलनाडु राज्य में 1,432 केंद्र स्थापित किए गए हैं। सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक इनकी संख्या बढ़ाकर 20,000 तक पहुंचाने का है। हालांकि, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए कोई निर्धारित लक्ष्य नहीं रखा गया है।

यह योजना 2,110 जेनेरिक दवाइयों और 315 सर्जिकल एवं चिकित्सा से संबंधित उत्पादों की व्यापक श्रृंखला उपलब्ध कराती है, जिसमें कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, एलर्जी, संक्रमण और गैस्ट्रो संबंधी समस्याओं से संबंधित दवाएं शामिल हैं। उत्पाद श्रृंखला को आगामी मार्च 2026 तक बढ़ाकर 2,200 दवाइयों और 320 सर्जिकल व चिकित्सा उपकरणों तक विस्तारित करने की योजना है।

इस योजना को कार्यान्वित करने वाली एजेंसी, भारतीय औषधि एवं चिकित्सा उपकरण ब्यूरो (BPPI), जेनेरिक दवाओं और योजना के लाभों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए नियमित रूप से बहुआयामी प्रचार अभियान चला रही है। इसके अंतर्गत प्रिंट मीडिया, रेडियो, टीवी, मोबाइल एप्स, सिनेमा, बसों व ऑटो पर ब्रांडिंग तथा कॉमन सर्विस सेंटरों पर स्क्रीनिंग जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं। साथ ही, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स (ट्विटर) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रचार किया जा रहा है। हर साल 7 मार्च को जन औषधि दिवस भी मनाया जाता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के अनुसार, सभी केंद्रीय सरकारी अस्पतालों और सीजीएचएस डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं ही लिखने के निर्देश दिए गए हैं। भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा जारी चिकित्सा आचार संहिता के अनुसार, सभी पंजीकृत चिकित्सकों को जेनेरिक नामों में ही दवाएं बड़े अक्षरों में लिखने और दवाओं के तर्कसंगत उपयोग को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कई ठोस कदम उठाए गए हैं। ये दवाएं केवल WHO-GMP प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं से खरीदी जाती हैं और हर बैच को NABL मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में परीक्षण के बाद ही वितरण के लिए मंजूरी दी जाती है। इसके अतिरिक्त, विक्रेताओं की सुविधाओं का नियमित गुणवत्ता ऑडिट भी BPPI द्वारा किया जाता है।

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी साझा की। यह योजना देश की स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त बनाने और आमजन को सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की दिशा में एक सशक्त पहल के रूप में उभर रही है।


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