EPCH अध्यक्ष ने महाराष्ट्र सरकार से की मुलाकात, हस्तशिल्प निर्यात बढ़ाने पर चर्चा

दिल्ली एनसीआर / मुंबई, 24 जुलाई 2025 – हस्तशिल्प निर्यात प्रोत्साहन परिषद (EPCH) के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना, मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य रवि पासी, प्रदीप मुछाला और प्रमुख सदस्य अशोक बूभ ने आज महाराष्ट्र सरकार के उद्योग विकास आयुक्त दीपेन्द्र सिंह कुशवाह (IAS) से मुंबई स्थित मंत्रालय में मुलाकात की।

बैठक का उद्देश्य महाराष्ट्र राज्य में हस्तशिल्प क्षेत्र के विकास और निर्यात को बढ़ावा देने हेतु रणनीतियाँ बनाना और विस्तृत सुझाव प्रस्तुत करना था। डॉ. खन्ना ने बैठक में महाराष्ट्र की समृद्ध हस्तशिल्प विरासत जैसे कि आदिवासी आभूषण, वारली चित्रकला, संगीत वाद्ययंत्र, बांस और नारियल शिल्प, मिट्टी के बर्तन, अजंता चित्रकला आदि पर प्रकाश डाला।

उन्होंने EPCH की ओर से राज्य में हस्तशिल्प निर्यातकों और कारीगरों की समस्याओं के समाधान हेतु कई सुझावों वाला औपचारिक ज्ञापन प्रस्तुत किया, जिनमें शामिल हैं:

  • हस्तशिल्प निर्यात क्षेत्र के लिए विशेष निर्यात नीति

  • उन्नत MDA योजना

  • ई-कॉमर्स निर्यात सहायता

  • मालभाड़ा सब्सिडी

  • निर्यात क्रेडिट बीमा प्रतिपूर्ति

  • ब्याज सब्सिडी

  • डिजाइन विकास सहायता

  • अनुपालन अनुदान

  • प्लग एंड प्ले इन्फ्रास्ट्रक्चर

  • राज्य योजनाओं में समावेश

  • महिला उद्यमियों को बढ़ावा

  • ODOP और GI उत्पादों का प्रचार

बैठक में मुंबई, ठाणे और पुणे में हस्तशिल्प के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित करने और EPCH के साथ त्रिपक्षीय समझौते (MoU) के तहत 7 लाख वर्ग फुट जगह उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भी दिया गया। इन केंद्रों में डिजाइन सुविधाएं, कौशल विकास कार्यक्रम और अन्य सहायक पहलें शामिल होंगी।

मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल और रवि पासी ने महाराष्ट्र सरकार को आगामी 60वें IHGF दिल्ली मेला – शरद 2025 (13 से 17 अक्टूबर) में भाग लेने का आमंत्रण दिया, जहां महाराष्ट्र के हस्तशिल्प उत्पादों को 7000 से अधिक विदेशी खरीदारों और 3000 भारतीय निर्यातकों के समक्ष प्रदर्शित किया जा सकेगा।

उद्योग विकास आयुक्त दीपेन्द्र सिंह कुशवाह ने EPCH की पहल की सराहना की और राज्य सरकार की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

EPCH प्रतिनिधिमंडल ने मुंबई में यूरोपीय संघ चैंबर ऑफ कॉमर्स इन इंडिया की निदेशक श्रीमती रेनू शोम से भी मुलाकात की और यूरोपीय बाजार में भारतीय हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीति पर चर्चा की।


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