New Delhi News (21/07/2025): दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को छह नए न्यायाधीशों ने पद की शपथ ली, जिससे अब यहां कार्यरत न्यायाधीशों की संख्या 35 से बढ़कर 41 हो गई है (मुख्य न्यायाधीश सहित) । वर्तमान में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में स्वीकृत कुल न्यायाधीशों की संख्या 60 है, और अब दो-तिहाई से अधिक पद भर चुके हैं। शपथ ग्रहण करने वालों में जस्टिस वेल्लूरी कामेश्वर राव, जस्टिस नितिन वासुदेव साम्ब्रे, जस्टिस विवेक चौधरी, जस्टिस अनिल खेतरपाल, जस्टिस अरुण मोंगा और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला शामिल हैं।
इनमें से कई जजों का तबादला देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों से किया गया है। जस्टिस साम्ब्रे को बॉम्बे हाईकोर्ट से, जस्टिस चौधरी और जस्टिस शुक्ला को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से, जबकि जस्टिस खेतरपाल को राजस्थान हाईकोर्ट से दिल्ली लाया गया है। वहीं, जस्टिस वेल्लूरी कामेश्वर राव की वापसी कर्नाटक हाईकोर्ट से उनके मूल कोर्ट यानी दिल्ली हाईकोर्ट में हुई है। यह स्थानांतरण न्यायपालिका में अनुभव और संतुलन लाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
दिल्ली हाईकोर्ट में लम्बे समय से लंबित मामलों की संख्या चिंताजनक बनी हुई है। जून 2025 में जारी आंकड़ों के अनुसार, यहां विभिन्न पीठों के समक्ष करीब 1.25 लाख मामले विचाराधीन हैं। हाल के महीनों में सेवानिवृत्ति और स्थानांतरण के कारण न्यायाधीशों की संख्या में आई कमी से न्यायिक कामकाज पर असर पड़ा था। नए न्यायाधीशों की नियुक्ति से उम्मीद की जा रही है कि मामलों की सुनवाई में तेजी आएगी।
शपथ ग्रहण के साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट के कोलेजियम में भी महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है। अब तक कोलेजियम में मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय के साथ जस्टिस विभू बाखरू और जस्टिस प्रतिभा एम सिंह शामिल थे। लेकिन 16 जुलाई को जस्टिस बाखरू के कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद यह कोलेजियम पुनर्गठित किया जा रहा है।
नई नियुक्तियों के बाद वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस वेल्लूरी कामेश्वर राव और जस्टिस नितिन साम्ब्रे को कोलेजियम में शामिल किया जाएगा, क्योंकि वे जस्टिस प्रतिभा एम सिंह से वरिष्ठ हैं। इस नए ढांचे से उम्मीद है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और निष्पक्षता और मजबूत होगी।
भारत की न्यायिक व्यवस्था में कोलेजियम प्रणाली एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यद्यपि यह संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं है, परंतु विभिन्न सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के माध्यम से यह प्रणाली विकसित हुई है। कोलेजियम सिस्टम न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और न्यायाधीशों की नियुक्ति को राजनीति से दूर रखने की एक कोशिश है, जिसकी प्रासंगिकता आज के समय में और भी बढ़ गई है।
प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन नई दिल्ली, दिल्ली सरकार, दिल्ली राजनीति, दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : राष्ट्रीय न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।
टेन न्यूज हिंदी | Ten News English | New Delhi News | Greater Noida News | NOIDA News | Yamuna Expressway News | Jewar News | NOIDA Airport News
Discover more from टेन न्यूज हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
टिप्पणियाँ बंद हैं।