चांदनी चौक में अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, गिरफ्तारी और सीलिंग का आदेश
टेन न्यूज़ नेटवर्क
New Delhi News (18/07/2025): दिल्ली के ऐतिहासिक चांदनी चौक (Chandani chowk) इलाके में चल रहे कथित अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट (Suprime Court) ने कड़ा रुख अपनाया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Suryakant) और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची (Joymalya Bagachi) की पीठ ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को निर्देश दिया है कि अगर कोई व्यक्ति एक भी अनधिकृत ईंट रखते हुए पाया जाए, तो उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाए। कोर्ट ने साफ किया कि नगर निगम (MCD) की मिलीभगत से यह निर्माण कार्य हो रहा है, और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अदालत ने जिन संपत्तियों पर अनधिकृत निर्माण चल रहा है, उन्हें तुरंत सील करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने एमसीडी को चेतावनी दी है कि यदि उसके आदेशों का पालन नहीं हुआ, तो इसे अवमानना माना जाएगा और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। यह सख्त निर्देश एक वृद्ध महिला की ओर से दायर की गई याचिका पर आए हैं, जिन्होंने एक बिल्डर पर अवैध कब्जे और निर्माण का आरोप लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वे चांदनी चौक में गश्त के लिए एक विशेष टीम तैनात करें जो सुनिश्चित करे कि अदालत द्वारा स्थगन न दिए गए एमसीडी के सभी ध्वस्तीकरण आदेशों का पालन हो। स्थानीय डीसीपी को पूरी कार्रवाई की अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के भी निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि पुलिस को हर स्तर पर सतर्क रहना होगा ताकि किसी भी नई निर्माण गतिविधि को रोका जा सके।
अदालत ने सुनवाई के दौरान बिल्डर के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे लोगों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए, क्योंकि वे कानून का उल्लंघन कर रहे हैं और अपनी हरकतों से बाज नहीं आएंगे। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय (SD Sanjay) से कहा कि ऐसे डिफॉल्टरों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए और यह देखा जाए कि उन्हें जमानत कौन देता है। कोर्ट ने इस पहलू को न्यायिक निगरानी में लाने की मंशा भी जताई।
सुनवाई में यह भी सामने आया कि कई व्यावसायिक निर्माण कार्य आवासीय भवनों में अवैध रूप से किए जा रहे हैं, जिससे क्षेत्र की शांति और पारिस्थितिकी प्रभावित हो रही है। कोर्ट ने ऐसे निर्माणों पर पूरी तरह रोक लगा दी है। साथ ही, यह भी संकेत दिया है कि अगर एमसीडी की भूमिका संदिग्ध पाई गई तो इस मामले की सीबीआई जांच भी करवाई जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी से कहा है कि वह एक पारदर्शी निरीक्षण रिपोर्ट दाखिल करे और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में कोई व्यावसायिक गतिविधि इन अनधिकृत संपत्तियों पर न हो। याचिकाकर्ता को भी निर्देश दिया गया है कि वह शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को अतिरिक्त जानकारी दे। अदालत ने साफ किया है कि अब किसी भी तरह की ढिलाई न सिर्फ कानून के खिलाफ होगी, बल्कि जनता के साथ विश्वासघात भी मानी जाएगी।
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